भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने राहत औऱ बचाव कार्यों के अभ्यास के लिए शनिवार को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कुल्लू में एक मॉक ड्रिल की सुबह करीब 11 बजकर 31 मिनट पर अचानक सायरन बजते ही उपायुक्त कार्यालय परिसर और मिनी सचिवालय के अधिकारी और कर्मचारी दफ्तरों से बाहर निकल आए औऱ खुले स्थान पर इकट्ठे हो गए।
इसी दौरान जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का पूरा तंत्र सक्रिय हो गया। पुलिस, होमगार्ड, अग्निशमन और स्वास्थ्य विभाग के वाहन तुरंत उपायुक्त कार्यालय परिसर की ओर रवाना हो गए। होमगार्ड और अग्निशमन विभाग के बचाव दस्ते ने उपायुक्त और एडीएम कार्यालय तथा मिनी सचिवालय में बचाव कार्य आरंभ कर दिए। इस बचाव दस्ते ने विभिन्न भवनों में मलबे के नीचे फंसे लोगों को बाहर निकालकर एंबुलैंस के माध्यम से क्षेत्रीय अस्पताल भिजवाया।
इसके बाद मॉक ड्रिल की समीक्षा करते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अध्यक्ष एवं जिलाधीश डॉ ऋचा वर्मा ने कहा कि भूकंप की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश काफी संवेदनशील है। हाल ही में प्रदेश में कम तीव्रता वाले भूकंप महसूस किए गए हैं। 28 फरवरी को भी कुल्लू में 2.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसलिए कुल्लू में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए आम लोगों में जागरुकता एवं तैयारी बहुत जरूरी है। इससे भूकंप के दौरान जान-माल के नुक्सान को काफी कम किया जा सकता है। इसी के मद्देनजर शनिवार को मॉक ड्रिल करवाई गई।
मॉक ड्रिल के माध्यम से जहां आपदा से निपटने की हमारी क्षमताओं का आकलन होता है, वहीं आपदा प्रबंधन तंत्र में कई कमियों का भी पता चलता है। डॉ ऋचा ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह की मॉक ड्रिल करवाई जाएगी। जिला के सभी सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में नियमित रूप से भूकंप जागरुकता संबंधी मॉक ड्रिल आयोजित करने और इनकी रिपोर्ट जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं।