<p>सिरमौर, कुल्लू औऱ शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में दीपावली के एक माह बाद बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। इन इलाकों में आज भी सदियों पुरानी अनूठी परंपरा का निर्वहन हो रहा है। यहां के अधिकांश गांवों में बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है। अबकी बार भी इसे धूमधाम से मनाया जा रहा है। 14 वर्ष का वनवास पूरा होने के बाद सीताजी बहु बनकर घर आई थी तो ग्रामीण इलाकों में दीपावली मनाई गई।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(7943).jpeg” style=”height:90px; width:743px” /></p>
<p>तब महालक्ष्मी के रूप में उनका अयोध्या में बूढ़ी महिलाओं ने जोरदार स्वागत किया था। लेकिन एक माह बाद अमावस्या के दिन बहुओं ने बूढ़ी महिलाओं को भी वहीं मान-सम्मान वापस दिया। उन्होंने सास की आरती उतारी। राम और सीता को जयमाला पहनाई। उसी याद में बूढ़ी दीपावली भी मनाई जाती है।</p>
<p>बूढ़ी दीवाली के दौरान रात में मशाल जलाई जाती है। इसे सुबह तक जलाए रखा जाता है। इन्हें स्थानीय भाषा में 'डाव' कहा जाता है। रात भर लोक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाटियों का दौर चलता रहता है। कुल्लू के राम शरण का कहना है रामायण काल से वह बूढ़ी दीवाली का पर्व मनाते रहे हैं। इस दौरान सभी ग्रामीण एक जगह एकत्रित होकर मशालों के साथ नाच गाना करते हैं।</p>
Shimla: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने राज्य चयन आयोग की सिफारिशों के आधार…
Shimla : हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर्स को लेकर विधानसभा की ओर से कमेटी…
Hamirpur: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिले के मुख्यालय हमीरपुर शहर की…
टांडा मेडिकल कालेज भी स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर नए आयाम कर रहा स्थापित विश्व…
वर्तमान में प्रिंसिपल के 500 पद है खाली लेक्चरर्स की 90:10 की मांग का…
Shimla: रोहडू की रहने वाली 22 वर्षीय अनुष्का दत्ता मिस यूनिवर्स इंडिया 2024 प्रतियोगिता…