पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में पशुधन सड़कों पर बेसहारा है। उनकी सुध लेने वाला कोई नही। गौसदन बनाने को लेकर न्यायालय तक आदेश दे चुका है। इसके बाबजूद सड़कों से पशुधन कम नहीं हो रहा है। पशु पालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर 2 लाख लावारिस पशु मौजूद हैं। इनमें से मात्र 12 हजार गायों का संरक्षण कर गौ-सदनों में रखकर पुनर्वास किया जा रहा है। बाकी अभी भी प्रदेश में करीब 20 हजार पशु लावारिस सड़कों में भटक रहे हैं। हिमाचल सरकार ने शराब की प्रति बोतल पर एक रुपया सेस गौ-सदन के नाम पर वसूल रही है। लगभग छह करोड़ का सेस भी गौ के नाम पर जुटा लिया गया है। बाबजूद इसके गौ सदनों के नाम पर कुछ नही हुआ है।
जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा इस मामले में हमसे बहुत आगे निकल चुका है। हरियाणा में अब बहुत कम पशुधन सड़कों पर नज़र आता है। हरियाणा में 578 गौसदन स्थापित किए है। हर जिले में गौ सदन बने है। हर गौसदन में हज़ारों गायों को रखने की व्यवस्था है। इनके मुकाबले हिमाचल में बेसहारा पशुधन के लिए न के बराबर काम हुआ है। गाए के नाम पर सेस बसूलने वाले हिमाचल को हरियाणा से सबक लेकर पशुधन के लिए काम करना चाहिए।