पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने वालों की अब खैर नहीं। शहरों में पेड़ कटते ही अब इसकी सूचना वन विभाग उसी वक्त मिलेगी और समय पर जो भी आरोपी पकड़ा जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हिमाचल हाईकोर्ट ने अब शहर के सभी पेड़ों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग्स लगाने के आदेश जारी कर दिये हैं। पहाड़ो की रानी शिमला में हरियाली को कायम रखने के लिए हाईकोर्ट ने ये निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की बेंच ने वन विभाग को कड़े निर्देश जारी करते हुए कहा कि नगर निगम शिमला के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी पेड़ों की निगरानी करने के लिए उन पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग्स लगाएं। पेड़ चाहे सरकारी भूमि पर हों या निजी भूमि पर चाहे किसी भी प्रजाति के हों सब में ये डिवाइस लगाए जाएंगें। निजी भूमि पर लगे पेड़ों पर टैग्स लगाने की कीमत भूमि मालिक से वसूली जाएगी।।
वन विभाग के मुताबिक, शिमला नगर निगम के अंतर्गत वन विभाग ने पेड़ों की गिनती का कार्य पहले से ही शुरू कर रखा है। विभाग अब तक दो लाख पेडों की गिनती कर उसमे मार्किंग कर चुका है। वन विभाग ने शहर में पांच हजार पेड़ों पर जीपीएस टैग्स भी लगा दिए है और अन्य पेड़ों पर भी टैग्स लगाने का कार्य किया जा रहा है। निज़ी भूमि में दो लाख के करीब पेड़ है उनमें भी निज़ी भूमि मालिकों के खर्चे पर जीपीएस लगाए जाएंगे। एक पेड़ पर रेडियो टैग लगाने का खर्च 5000 रुपये है।
गौरतलब है कि शिमला शहर के रामनगर में अवैध रूप से पेड़ कटान पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने पेड़ों के कटान को रोकने संबंधी निर्देशों को सख्ती से लागू करने के लिए कहा और शिमला शहर में अवैध पेड़ कटान को रोकने के लिए उपयुक्त स्टाफ की नियुक्ति की जाए। मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसम्बर को होगी।