हिमाचल प्रदेश देश का तीसरा राज्य है जिसने 2500 रजिस्टर्ड ट्रांसजेडर्स के लिए 1000 रूपए हर महीने सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्कीम शुरू की है। पर प्रदेश की वोटर लिस्ट कुछ अलग कहानी ब्यां करती है। 15 सितंबर को जारी की गई वोटर लिस्ट में हिमाचल के 49 लाख वोटरों में केवल 12 ट्रांसजेडर्स ही शामिल है। एनआरआई वोटरों की संख्या 4 है। साथ ही, वोटर लिस्ट में 24.07 लाख महिलाएं और 24.98 लाख पुरूष है।
नहीं है कोई आधिकारिक रिकॉर्ड
राज्य में ट्रांसजेंडर जनसंख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन वास्तविक साक्ष्य के आधार पर, राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक इनकी जनसंख्या 2,000 और 3,000 के बीच है। सही जनसंख्या मालूम न होने के बावजुद समाजिक न्याय और अल्पसंख्यक विभाग ने 2007 से 2018 तक 200 ट्रांसजेडर्स को सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने का टारगेट सेट किया है जो 31 मार्च 2018 में खत्म होने वाला है।
अभी तक कितने ट्रांसजेडर्स को सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा चुकी है इसका कुछ साफ नहीं है, हालाकिं तमिलनाडू और ओडिसा राज्य भी इस तरह की स्कीम चला रहे है।
पहचान के साथ जुड़ी है सामाजिक बुराई
सरकार के मुताबिक इलेक्ट्रल रोल और उनकी संख्या के बीच में अंतर पहचान के साथ जुड़ी सामाजिक बुराई है। अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल में ट्रांसजेडर्स व्यवस्थित नहीं है और पहचान के साथ जुड़ी सामाजिक बुराई के कारण लोग आगे नहीं आते है। सामाजिक कल्याण और अल्पसंख्यक मामलों के विभाग के निदेशक डॉ संदीप भटनागर ने कहा कि हिमाचल में ट्रांसजेंडर हर विधानसभा क्षेत्र में बिखरे हुए हैं लेकिन उनकी मौजूदगी पंजाब और हरियाणा की सीमाओं में अधिक है, पर उनकी सही संख्या का पता न होने के कारण पेंशन स्कीम की गति धीमी हो गई है।