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52 बच्चों पर मात्र एक शिक्षक वह भी फ़ोन पर मस्त, कैसे सफल होगा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान

पी. चंद |

जिला सिरमौर की रेणुका विधानसभा सीट के अंतर्गत ग्राम पंचायत खुड के साथ लगता गांव शाची तिरमल्टी राजकीय प्राथमिक पाठशाला स्कूल एक ऐसा स्कूल है, जहां 52 विद्यार्थी हैं। जिनमें 35 बेटियां और 17 बेटे शामिल हैं। इन बच्चों की पढ़ाई राम भरोसे चल रही है। सुबह समय पर बच्चें स्कूल आ जाते है और शाम को छुट्टी करके चले जाते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने वाला कोई नहीं है। वहां एक अध्यापक है वह भी आधा समय फ़ोन पर व्यस्त रहता है।

अनिल कुमार कहते है कि यहां पर रुपेंद्र कोर नामक एक अन्य अध्यापिका भी थी जिसने अपनी पहुंच का फ़ायदा उठाकर अपने घर के पास पोंटा में तबादला करवा लिया है। जिसके कारण गांव के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उधर राजनीति की बात करे तो रेणुका विधायक विनय कुमार पच्छाद में गंगूराम के प्रचार में लगे हुए हैं। पूर्व प्रधान रमेश कुमार का कहना है कि सरकार दावे करती है कि 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत बेटियों की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन यहां पर बेटियां बिना अध्यापक के पढ़े भी तो क्या?


इसे व्यवस्था की खामी कहें या लापरवाही या फिर शिक्षा विभाग की अनदेखी जहां पढ़ने वाले है वहां पढ़ाने वाला नही जहां पढ़ाने वाले है वहां पढ़ाने वाला नहीं ये कुव्यवस्था नही तो क्या है?