चम्बा जिला में जब से पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज शुरू हुआ है तब से यह विवादों में ही रहा है। कभी यहां मरीजों को सुविधाएं पूरी नहीं मिल पा रही है और कभी यहां डॉक्टर पलायन कर रहे हैं। कुल मिलाकर यहां की हालत बहुत दयनीय है। अब पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों ने भी वेतन ना मिलने की वजह से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, यहां पर करीब 274 आउट स्कोर्स कर्मी मेडिकल कॉलेज में कार्य करने के लिए लगाए गए थे लेकिन उन्हें पिछले 4 महीनों से वेतन ना मिलने की वजह से आज सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
आउटसोर्स कर्मियों ने रोजाना सुबह 2 घंटे की हड़ताल शुरू कर दी है। इन आउटसोर्स कर्मियों की रोजाना हड़ताल की वजह से मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के कामकाज में काफी रुकावट आ रही है जिससे मरीजों को व आम आदमियों को भी परेशानी हो रही है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उन्हें वेतन ना मिला तो अभी तो वह 2 घंटे की रोजाना हड़ताल कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में वह भूख हड़ताल भी कर सकते हैं और अगर फिर भी सरकार ने उनकी बात न मानी तो वे एक उग्र आंदोलन की रह पर भी जा सकते हैं।
आउटसोर्स कर्मि संघ के नेताओं ने बताया 3 साल पहले पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एक प्राइवेट कंपनी द्वारा आउट सोर्सिंग की गई थी जिसके तहत करीब 274 लोगों को काम के लिए रखा गया था। लेकिन पिछले 4 महीने से उन्हें कोई भी वेतन नहीं मिल पा रहा है साथ ही उन्होंने बताया कि बिना किसी वजह से उनके कई साथियों को टर्मिनेशन लेटर भी दिया जा रहा है और नौकरी से निकाला जा रहा है। उन्होंने बताया कि बिना कोई नोटिस दिए इस तरह से है उनके साथियों को नहीं निकाल सकते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वे इस मामले के लिए कम्पनी प्रवंधन कार्य में हस्तक्षेप करके कंपनी जिस तरह से कार्य कर रही है उस उस पर उसके लिए उन पर उचित कार्रवाई की जाए।
जब इस आउटसोर्स कर्मियों की हड़ताल के बारे में पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछा गया तो वह भी इस मामले में हस्तक्षेप करने में असमर्थ दिखे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जो चार मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं उन्हें समांतर बजट मुहैया करवाया जाता है लेकिन चंबा जिला में चल रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में जो और आउटसोर्स पर कर्मचारी रखे गए हैं उनका खर्च बाकी के कॉलेजों से दुगना है इसलिए सरकार ने इस बात की जानकारी मांगी है कि यहां पर इतना खर्चा क्यों हो रहा है। इसलिए इन लोगों को वेतन नहीं मिल पा रहा है उन्होंने कहा कि यह बात सरकार के ध्यान में है लेकिन आउटसोर्स कर्मियों के लिए जिस प्राइवेट कंपनी को काम दिया गया है उन्हें चाहिए कि जब तक सरकार का फैसला नहीं आता है तो कम्पनी अपनी जेब से भी पैसा दे सकते हैं।