प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में प्रधानमंत्री सड़क योजना और आरआईडीएफ (नावार्ड) के तहत गांव के जोड़ने वाली छोटी-बड़ी सड़कों जिन्हें प्रदेश लोक निर्माण विभाग के तहत बनाया जाता है इन सभी सड़कों का काम जनता द्वारा चुने गए पंचायतों के नुमाइदें ही ठेकेदार बन कर इनका निर्माण करवाने में दिलचस्पी दिखा रहे है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ताजा मामला धर्मशाला के साथ सटी नरवाणा खास पंचायत का है। जहां पर पंचायत प्रधान ने ही अपने नाम पर सरकारी काम का आवंटन करवाकर अपने आप को ठेकेदार करार दे दिया है। यह हम नहीं कह रहे यह सारी जानकारी विभाग द्वारा इस सड़क के लगाए गए जानकारी बोर्ड में साफ शब्दों में लिखा गया है।
नरवाणा खास पंचायत के प्रधान बहादुर सिंह को इस बोर्ड में सरकारी ठेकेदार करार दिया गया है और उनके नाम पर इस बोर्ड में नरवाणा से लिंक रोड खिड़कू सड़क जिसकी कुल लम्बाई करीब 3 किलोमीटर है और विभाग ने 13 मई 2017 में इस सड़क का काम शुरु करवाया था। 12 नवम्बर 2017 को यह सड़क बन कर तैयार हो चुकी है। इस लिंक रोड की कुल लागत 108.04 लाख जबकि इस रोड़ के लिए आवंटित लागत करीब 19 लाख 56 हजार 822 रुपए दिखाई गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला कांगड़ा की करीब 70 प्रतिशत पंचायतों में पंचायत के नुमाइदें ही ठेकेदारी प्रथा को पूरा कर रहे है। हैरानी तो इस बात को लेकर भी होती है कि सरकार के आदेशों को सरकारी विभाग भी ठेंगा दिखाते दिख रहे है।
चुना हुआ नुमाइदा अपनी पंचायत में सरकारी काम का ठेकेदार नहीं बन सकता
इसस बारे में जब अधिकारियों को अवगत करवाने की कोशिश की गई तो अधिकाश अधिकारियों को सरकार के इन सरकारी आदेशों जिन्में कोई भी चुना हुआ नुमाइदा अपनी पंचायत में सरकारी काम के ठेकेदार नहीं बन सकते है। लेकिन जिला कांगड़ा में सरकारी विभाग के अधिकारी सरकार के इन आदेशों को ही नहीं जानते है। हैरानी इस बात को लेकर भी है कि 19 लाख खर्च होने के बाद भी सड़क का काम अधूरा ही है।
प्रधान ने कहा सरकार क आदेशों की नहीं कोई जानकारी
इस बारे में जब पंचायत के प्रधान बहादुर सिंह से बात की गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें सरकार के उन आदेशों की कोई जानकारी नहीं है और हमे भी अपने परिवार पालने हैं। इसलिए यह छोटी मोटी ठेकेदारी कर लेते है। उन्होंने कहा कि वे लोक निर्माण विभाग से डी क्लास के ठेकेदार हैं और उसी के चलते उन्होंने यह सड़क का टैंडर लिया है।
इस मामले को लेकर जब चीफ इंजीनियर अजय कुमार शर्मा से बात की गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि विभाग ई-टैडरिंग के माध्यम से इस तरह के टैंडर जारी करता है। विभाग को सरकार के उन आदेशों की जानकारी नहीं है। ने इस मामले पर जानकारी हासिल करने के बाद ही कुछ कहने के काबिल होंगे।