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कांगड़ाः नूरपुर की पंदरेहड़ पंचायत ने बनाई प्रदेश में अपनी अलग पहचान

मृत्युंजय पुरी |

जिला कांगड़ा के नूरपुर में आने वाली पंदरेहड़ पंचायत का प्रधान का चुनाव जीतकर ब्लॉक की बैठक में पहुंचा तो किसी ने इस शख्स से पूछ लिया कि भाई यह तुम्हारी पंचायत नूरपुर के कौन से क्षेत्र में पड़ती है। बस इस युवा प्रधान को यह बात दिल में चुभ गयी और उसने यह जिद्द बना ली की अब उसकी पंचायत ब्लॉक में ही नहीं पूरे प्रदेश में पहचान बनाएगी। 5 साल दिन रात अपनी जिद्द और जज्वे के साथ काम कर सिकन्दर राणा ने अपनी पंचायत को पूरे प्रदेश में एक अलग पहचान दिलवा दी है। वन मंत्री राकेश पठानिया और जिलाधीश राकेश कुमार प्रजापति ने भी युवा प्रधान द्वारा पंचायत में किये गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए पीठ थपथपाई है। पंचायत प्रतिनिधियों को युवा प्रधान द्वारा किए गए कार्यों का अनुसरण करने की अपील की है।

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी का दाखिला करवा बने प्ररेणस्त्रोत

पन्दरेहड़ पंचायत के प्रधान सिकन्दर राणा सबसे पहले तब चर्चा में आये जब उसने अपनी पंचायत में 9 सालों से बन्द पड़े हुए राजकीय प्राइमरी स्कूल को खुलवाने के लिए स्थानीय विधायक राकेश पठानिया के समक्ष मुद्दा उठाया। स्कूल को खुलवाने के बाद लोगों को स्कूल में दाखिला करवाने को प्रेरित करने के लिए अपनी बेटी का दाखिला स्कूल में करवाया। अपनी पत्नी को स्कूल में निशुल्क बतौर अध्यापक तैनात करवाया। सरकार, प्रशासन औऱ स्थानीय सामाजिक संस्थाओं और लोगों के जनसहयोग से स्कूल में आधुनिक  इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया। आज इस स्कूल में स्मार्ट कक्षाएं औऱ अंग्रेजी मीडियम पढ़ाया जाता है। पंचायत के दर्जनों छात्र इस स्कूल में निशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। युवा प्रधान ने केंद्र सरकार की मनरेगा योजना को विकास की ढाल बनाकर लाखों रुपयों के विकास के आयाम स्थापित कर प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधियों को सन्देश भी दिया कि सरकारी योजनाओं का यदि सही सदुपयोग अपने निजी हित की बजाय पंचायत के लिए किया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र में विकास करवाने में धनराशि की कोई कमी नहीं होती।

सिकंदर ने कर दिखाया कमाल

इसी पंचायत में प्रताप सिंह के घर जन्में सिकन्दर राणा ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ नाम से सिकन्दर नहीं हैं बल्कि काम से भी सिकन्दर हैं। सालों से बन्द पड़े एक निर्जीव स्कूल को जीवन दान देकर शिक्षा का मंदिर बनाने से लेकर पँचायत में विकास के कई ऐसे कार्य करवाये जो अरसे से लटके पड़े थे। सिकंदर राणा ने मनरेगा के तहत पंचायत में सड़क, सिंचाई, खेल, शिक्षा सभी क्षेत्रों में कार्य किया। मनरेगा के तहत पंचायत में 23 लाख की लागत से एक पुल का निर्माण, युवाओं को फिट रखने के लिए मल्टी पर्पस खेल मैदान का निर्माण, 1 लाख 75 हजार की धनराशि से ग्राम सभा हाल में बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था, इंडोर जिम, आधुनिक पंचायत घर का निर्माण कर डिजिटल कर, उसमें गेस्ट हाउस बनाना, शादियों और पार्टियों के लिए सामुदायिक भवन बनाना, पेयजल की व्यवस्था के लिए  56 वाटर टैंको का निर्माण, 30 प्रोटेक्शन वाल, पंचायत में विभिन्न स्कूलों में खेल के मैदान बनाना, पँचायत के  रास्तों में टाइल वर्क औऱ कंक्रीट वर्क करवाना।

खेतों में सिंचाई के लिए 5 चैक डैम का निर्माण, 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत सार्वजनिक शौचालय, रेन शैड का निर्माण, ड्रेनेज सिस्टम के लिए पक्की नालियों की व्यवस्था, सोलर लाइट सिस्टम, प्राकृतिक स्त्रोतों की मुरम्मत, सिंचाई के लिए पंचायत में स्प्रिंकल सिस्टम आदि ऐसे कई कार्य रहे हैं जो पंचायत और पूरे नूरपुर ब्लॉक में चर्चा का विषय है। पंचायत के लोगों का कहना है कि उनका युवा प्रधान इतना मेहनती है कि पंचायत घर में रखी कुर्सी से नहीं बल्कि गांव के विकास के लिए समर्पित है।

पंचायत प्रधान सिकन्दर राणा का कहना है कि जब ब्लॉक की बैठक में किसी ने उनसे यह पूछा कि उनकी पंचायत कहां स्थित है तो उन्होंने अपनी पंचायत स्थिति समझाने के लिए नजदीकी दो पंचायतों का नाम लिया था। लेकिन तब उन्होंने ठान लिया था कि अपनी पंचायत को एक अलग पहचान दिलाएंगे। पंचायत में जितने भी कार्य किये गए हैं पंचायत स्टाफ और प्रतिनिधियों के सहयोग से हुए हैं। पंचायत के विकास में उन्हें मंत्री राकेश पठानिया, जिलाधीश राकेश कुमार प्रजापति, एडीसी राघव शर्मा, स्थानीय अधिकारियों  का भरपूर योगदान मिला। उन्होंने कहा कि यदि पंचायत सामान्य वर्ग के लिए ओपन होती है और दोबारा से चुनाव जीतते है तो पंचायत में युवाओं के रोजगार के लिए आर्थिक साधन जुटाने के प्रयास करेंगे और पंचायत में एक नर्सरी और गौशाला का निर्माण करेंगे।