<p>90 साल पुरानी पठानकोट-जोगिंद्र नगर नैरोगेज लाइन आजादी से पूर्व 1928 में ब्रिटानिया हकूमत ने बिछाई थी। 181 किलोमीटर लंबी लाइन आज तक आगे नही बढ़ पाई। पठानकोट से जोगिंद्र नगर नैरोगेज रेलवे लाइन पर मौजूदा समय में रोजाना 7 ट्रेनें अप-डाउन चलती हैं। ये ट्रेनें देश के मैदानी इलाकों से कांगड़ा घाटी को जोड़ती है।</p>
<p>अब रेल मंत्रालय की देखरेख में पठानकोट-जोगिंद्र नगर नैरोगेज को ब्रॉडगेज करने पर सर्वे चल रहा है। इसी के साथ रेल लाइन को मंडी तक ले जाने की भी योजना है । इसके लिए जोगिंद्र नगर से मंडी तक 48 किमी की नई ब्रॉडगेज लाइन बिछाई जाएगी। इस योजना की सफलता के बाद मंडी से कुल्लू-मनाली, रोहतांग होते हुए ट्रेन को लेह लद्दाख तक पहुंचाया जाएगा।</p>
<p>देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सैन्य लिहाज से पठानकोट-लेह मार्ग को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। अभी तक केवल जम्मू-कश्मीर के रास्ते ही लेह तक सीधा पहुंचा जाता है, जबकि रोहतांग का रास्ता तीन महीने के लिए गर्मी में खुलता है, सारा साल क्षेत्र बर्फ से ढ़का रहता है। ऐसे में लेह में बढ़ते चीन की सेना के दखल को देखते हुए पठानकोट लेह रेल मार्ग को महत्वपूर्ण तौर से देखा जा रहा है। आने वाले समय में पठानकोट से लेह के बीच 400 किलोमीटर की दूरी की लाइन होगी।</p>
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