ऊना की गोबिंदसागर झील में लोग जान जोखिम में डालकर बेखौफ़ नहा रहे हैं। शायद लोगों को यह पता नहीं की उनकी एक छोटी सी लापरवाही उनकी जान ले सकती है। हर साल यहां लोग नहाते-नहाते डूब जाते हैं। लेकिन हादसों के बाद भी लोग सबक नहीं ले रहे। प्रशासन कुंभकर्ण की नींद सो रहा है और उसकी तरफ से यहां पर नाममात्र चेतावनी बोर्ड लगा रखे हैं। इस झील पर सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम भी नहीं हैं। लोगों को पानी के अंदर जाने से कोई रोक-टोक नहीं है। लोगों को पानी की गहराई का पता नहीं होता। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय लोग भी हादसों को न्यौता दे रहे हैं।
मछुआरों की लापरवाही किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रही है। मछुआरे कंडम पड़ी नावों को लेकर इस साल भी झील में उतरने वाले हैं। मछली का सीजन खुलते ही ऐसी कंडम नाव पानी में तैरती दिखेंगी। पानी के सफर में अधिकांश मछुआरे बेकार हो चुकी नावों के सहारे ही काम चला रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि न तो उन्हें कोई रोकने वाला है और न ही नावों की फिटनेस जांचने की कोई व्यवस्था है। बता दें कि पहले भी हादसे हो चुके हैं।
कंडम हो चुकी हैं दर्जनों नाव
जब समाचार फर्स्ट ने पानी के सफर का सच जानने की कोशिश की और जो तथ्य सामने आए वे चौंकाने वाले थे। जिले के क्षेत्र में करीब 18 किलोमीटर लंबी इस झील में अब भी दर्जन से अधिक ऐसी नाव हैं जिनकी या तो स्थिति बेहद खराब है या कंडम हो चुकी हैं। ऐसी नावों का इस्तेमाल मछुआरे मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
कौन लोग हो सकते हैं शिकार
अक्सर बोटिंग का शौक रखने वाले अनजान लोग और पर्यटक कंडम वोट के सफर में हादसे का शिकार हो सकते हैं। यह भी देखने में आया है कि बोटिंग की इच्छा से आने वाले कई पर्यटक और युवक अनजाने में झील के किनारे असुरक्षित खड़ी इन नावों के सहारे अपने शौक को पूरा करते हैं। कई मछुआरों ने खुद खुलासा किया है कि ऐसे कई हादसे होने से उन्होंने स्वयं बचाए हैं। नाव में खराबी से अनजान ये लोग झील में उतर तो जाते हैं, लेकिन उनकी जान पर खतरा हर वक्त मंडराता रहता है। मामूली रिपेयर करके पानी में खड़ी दर्जनों ऐसी नाव कब दुर्घटना ग्रस्त हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता है।
क्या है खतरा
झील किनारे खड़ी कई ऐसी नाव हैं जो लगभग कंडम हो चुकी हैं। इन्हें मछुआरे तो इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अनजान लोग ऐसी नाव में पानी के बीच आई खराबी को दूर करने में सक्षम नहीं होते और हादसा हो जाता है। ऐसी नावों में गहरे पानी का जब दबाव पड़ता है तो उनमें सुराखों से पानी भरना शुरू हो जाता है।
झील में अगर मछुआरे ऐसी नावों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह गलत है। इसकी छानबीन कराई जाएगी और संबंधित महकमे के माध्यम से इन मछुआरों को जागरूक किया जाएगा।