अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की दूसरी सांस्कृतिक संध्या कव्वाल अफजल कादरी के नाम रही। कादरी ने एक के बाद एक दमदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
अफजल कादरी ने श्री राम पर आधारित भजन 'राम की जय जय', 'कितना हसीन है कुल्लू', 'मेरी जान जाए वतन के लिए', 'दिल दिल गया ले गया सनम', 'मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर' कव्वाली पेश की, जिसे कलाकेंद्र में दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया।
दूसरी सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत कलाकारों ने कुल्लुवी नाटी डालकर की। वहीं, गायक प्रणव ने 'मेरा ख्बाव मेरे ख्यालों की रानी किसी दिन बनेगी मेरी कहानी' गाना गाया। कलाकार दीपक जनदेवा ने 'कितना सुंदर चेहरा तुम्हारा, अब तुझको पाना ख्वाब हमारा', 'तारा लाड़िये उझी री झेचिये' गाना गाया।
वहीं, सांस्कृतिक संध्या में बिहार के कलाकारों द्वारा लोक नृत्य पेश किया गया। हिमालयन रॉकर शिमला के कलाकारों ने 'हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में', 'मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाए' गाना गाया। हरियाणा के कलाकार ने शिव लहरी नृत्य किया और इंडोनेशिया के कलाकारों ने लोक नृत्य पेश किया। सांस्कृतिक संध्या में पंजाबी गायक आलम गिर ने 'देवा श्री गणेशा', 'नागन बरगी दासडी वो', 'सूर्य अस्त पंजाबी मस्त', 'मौका मौका'। 'इश्क तेरा तड़पावे' गाने गाए।
वहीं, सांस्कृतिक संध्या में बिहार के कलाकारों द्वारा लोक नृत्य पेश किया गया। हिमालयन रॉकर शिमला के कलाकारों ने 'हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार जिंदगी में', 'मेरी रूह का परिंदा फड़फड़ाए' गाना गाया। हरियाणा के कलाकार ने शिव लहरी नृत्य किया और इंडोनेशिया के कलाकारों ने लोक नृत्य पेश किया। सांस्कृतिक संध्या में पंजाबी गायक आलम गिर ने 'देवा श्री गणेशा', 'नागन बरगी दासडी वो', 'सूर्य अस्त पंजाबी मस्त', 'मौका मौका'। 'इश्क तेरा तड़पावे' गाने गाए।