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कोख़ से कब्र तक फिजियोथेरेपी मनुष्य के साथ, बाबजूद इसके लोग इससे अनजान

पी. चंद, शिमला |

शिमला में फिजियोथेरेपी डे की सभा को संबोधित करते हुए इंडियन फिजियोथेरेपिस्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप कुमार ने कहा कि 1996 से वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे मनाया जा रहा है। फ़िट इंडिया प्रॉजेक्ट में फिजियोथेरेपी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर बड़ी बीमारी के बाद फिजियोथेरेपी की ज़रूरत पड़ती है। इसमें रोगी की मदद फिजियोथेरेपिस्टस करते हैं। बोन टू टोन यानि  जोड़ों के दर्द में तो फिजियोथेरेपी रामबाण का काम करती है। लेकिन हिमाचल में अभी तक फिजियोथेरेपी को लेकर जागरूकता नहीं है। परिणामस्वरूप फिजियोथेरेपिस्टस को अस्पतालों में नहीं रखा गया है।

इंडियन फिजियोथेरेपिस्टस एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप कुमार ने पीएचसी स्तर से फिजियोथेरेपिस्टस को रखने की मांग उठाई है। अभी जहां फिजियोथेरेपिस्टस हैं भी उनको थर्ड कैटेगरी में रखा गया है। इसलिए बढ़ती बीमारियों के ईलाज के लिए फिजियोथेरेपिस्टस की सहायता बहुत ज़रूरी है। कोख़ से कब्र तक फिजियोथेरेपी मनुष्य के साथ चलती है। अभी हिमाचल में 300 के करीब फिजियोथेरेपिस्टस है। जिममें से 8 ही अस्पतालों में काम करते हैं।