सीएम कार्यालय द्वारा पॉलिसी बनाने के जारी निदेर्शों के उपरांत सरकारी राशन के डिपो संचालकों में अपनी मांगें पूरी होने की उम्मीद बंधी है। जेएंडके, केरल, तमिलनाडू और गोआ की तर्ज पर डिपो संचालकों को सुविधाएं देने की मांग लंबे समय से प्रदेश डिपो संचालक समिति द्वारा की जा रही है।
समिति ने इस मामले को सीएम जयराम ठाकुर सहित खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर के समक्ष उठाया था, जिसके तहत सीएम ने विभाग को डिपो सेल्समैन के लिए पॉलिसी बनाने के निर्देश जारी किए हैं। समिति का कहना है कि जेएंडके सरकार द्वारा 10 साल से डिपो संचालन का कार्य कर रहे सेल्समैन को 15 हजार, 10 से 20 साल से इस कार्य में जुटे लोगों को 25 हजार और 20 से अधिक वर्षों डिपो चला रहे लोगों को 30 हजार वेतन दिया जा रहा है।
ऐसे में प्रदेश के डिपो संचालक भी इस वर्ग के लिए नीति बनाने की मांग सरकार से कर रहे थे। अब जबकि सीएम कार्यालय ने इस बारे निर्देश जारी किए हैं तो उन्हें भी अन्य राज्यों की तर्ज पर सुविधाएं मिलने की उम्मीद बंधी है। समिति का कहना है कि केरल, गोआ और तमिलनाडू में भी डिपो संचालकों को वेतन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि हिमाचल में अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। न ही इस वर्ग को सरकारी कर्मचारी घोषित किया गया है, जबकि सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बेहतर संचालन में यह वर्ग अहम भूमिका निभा रहा है।
समिति का कहना है कि निजी डिपो होल्डर्स को जहां एपीएल राशन पर 3 फीसदी कमीशन दिया जा रहा है, जबकि राशन भी डिपो होल्डर्स को खुद खरीदना पड़ता है। वहीं, सहकारी सभाओं के माध्यम से सेवाएं दे रहे सेल्समैन को 400 रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है, जो कि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
हमें जानकारी मिली है कि सीएम कार्यालय ने डिपो संचालकों के लिए पॉलिसी बनाने के निर्देश जारी किए हैं। जिससे डिपो संचालन का कार्य कर रहे लोगों को उम्मीद बंधी है। जेएंडके सरकार की तर्ज पर हिमाचल के डिपो संचालकों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और केरल, तमिलनाडू और गोआ की तर्ज पर इस वर्ग को सुविधाएं प्रदान की जाएं, जिससे कि यह वर्ग भी अपने परिवारों का सही ढंग से पालन पोषण कर सके।