ऊर्जा राज्य के नाम से मशहूर हिमाचल में अभी भी हर गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई है। कुल्लू के बंजार उपमंडल की सैंज घाटी के तीन गांवों शाक्टी, मरौड़ और शुघाड़ में बिजली नहीं पहुंची है। इस कारण 200 लोगों की आबादी वाले इन गांवों में न तो टेलीविजन चलता है और न ही मोबाइल फोन काम करता है।
शाक्टी, मरौड़ औऱ शुघाड़ गांव के लिए कुछ समय पूर्व सोलर पैनल कनेक्शन दिए गए लेकिन विद्युत विभाग की लाइन अभी तक नहीं पहुंच पाई है। प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आते ही ग्रामीणों में उम्मीद की किरण जगी थी। दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत तीनों गांवों के लिए 1.30 लाख रुपये से बिजली पहुंचनी थी। योजना के तहत विद्युत विभाग ने टेंडर भी लगा दिए। बिजली के खंभे औऱ अन्य सामग्री भी गांवों में पहुंचा दी। ये गांव ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क शमशी के तहत आते हैं।
सेंक्चुअरी क्षेत्र होने के कारण वाइल्ड लाइफ विग ने कार्य पर रोक लगा दी है। कार्य के लिए विद्युत विभाग को वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) के तहत अनुमति लेनी चाहिए थी जो नहीं ली गई है। विद्युत विभाग को एफसीए की मंजूरी लेनी होगी। यह अनुमति पहले केंद्र से मिलेगी। सत्तर से अधिक पेड़ काटने होंगे तभी इन गांवों के लोगों को बिजली की सुविधा मिल पाएगी। कई पेड़ों के कटान के कारण योजना के जल्द पूरे होने की उम्मीद कम नजर आ रही है। हालांकि बंजार के विधायक सुरेंद्र शौरी ने गत दिनों हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया था। इसके बाद आनन-फानन में विभाग के अधिकारियों ने इस संबंध में कार्य शुरू कर दिया है।
स्थानीय निवासी राम चंद का कहना है कि छह महीने पहले यहां बिजली के खंभे पहुंचा दिए गए हैं। अब ग्रामीण इन खंभों को वापस नहीं ले जाने देंगे। शाक्टी, मरौड़ व शुघाड़ गांव में आजादी के कई साल बाद भी बिजली न होना हैरान करने वाला है। महेश शर्मा का कहना है कि यह गांव तक ना तो सड़क सुविधा है और ना ही बिजली की। सैंज संयुक्त संघर्ष समिति के द्वारा जल्द ही इन सुविधाओं के लिए धरने का भी आयोजन किया जाएगा ताकि इन ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं जल्द से जल्द मिल सके। गौर रहे कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के तहत आने वाले इन गांवों में यह सुविधाएं पहुंचाने के लिए कई प्रकार की अनुमति या लेनी होती हैं और इन्हीं अनुमति यों में देर के चलते यह गांव अभी भी विकास से कोसों दूर हैं।