शिमला: चार दिवसीय शिमला दौरे के तीसरे दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे 2018 और 2019 बैच के भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं के विदाई समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा मुझे सूचित किया गया है कि भारत के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान के रूप में सीएजी को संयुक्त राष्ट्र जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण बहुपक्षीय निकायों की लेखापरीक्षा जिम्मेदारी के लिए चुना गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 18 महीने देश के लिए बहुत कठिन रहे हैं। कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। सरकार ने संकट को कम करने और गरीबों के कल्याण के लिए विभिन्न वित्तीय उपाय किए हैं। इन्हें अक्सर पैसे के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि यह हमारे बच्चों और पोते-पोतियों से उधार लिया गया था। हम उनके ऋणी हैं कि इन दुर्लभ संसाधनों का सर्वोत्तम संभव उपयोग किया गया है और गरीबों और जरूरतमंदों के कल्याण के लिए सबसे प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है। इसमें सीएजी की बहुत अहम भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि निरीक्षण कार्य करते समय सीएजी को प्रणालीगत सुधारों के लिए इनपुट प्रदान करने के अवसरों के बारे में पता होना चाहिए। लेखापरीक्षा कार्य प्रणाली की गहरी समझ हासिल करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है और सीएजी को सुधारों का सुझाव देने की एक अच्छी स्थिति में रखती है। सरकारें सीएजी जैसी संस्था द्वारा दी गई सलाह को गंभीरता से लेंगी।
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