लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से बंद और अनलॉक के बाद भी आधी अधूरी ही बसें चल पाने से निजी बसों के चालक परिचालक फाके की स्थिति में हैं। अपनी बात को सरकार और प्रशासन के सामने रखने के लिए इन निजी बसों के चालक परिचालकों ने अपना संगठन बनाकर आवाज को बुलंद करते हुए सरकार से वित्तीय सहायता की गुहार लगाई है। क्षेत्रीय निजी परिवहन चालक चालक यूनियन शिव भूमि जिला मंडी ने रविवार को मंडी के माता चामुंडा मंदिर परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते हुए बैठक की। बैठक के बाद यूनियन के प्रधान सुनील कुमार, सचिव करण शर्मा व कोषाध्यक्ष हरि सिंह सैणी ने बताया कि निजी बसों चालक परिचालक पिछले 100 दिनों से बेरोजगार बैठे हुए हैं, इसके चलते परिवारों में फाके की स्थिति बन गई है, मालिक भी अब मदद नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि बसें ही चल ही नहीं रही हैं।
यूनियन का कहना है कि लॉकडाउन में सभी वर्गों को कोई न कोई मदद सरकार ने की है । मगर बेरोजगार बैठे निजी बस चालक परिचालकों को कोई मदद नहीं दी गई। केंद्र सरकार ने जो पैकेज घोषित किया है, उसमें निजी बस चालक परिचालकों को भी जोड़ा जाए तथा उन्हें भी उचित राशि की वित्तीय मदद दी जाए ताकि वह अपने परिवारों को पाल सकें। आग्रह किया गया है जिस तरह से अन्य वर्गों के खाते में राशि डाली गई हैं इस वर्ग को दी जाए ताकि कुछ राहत मिल सके। गौरतलब है कि मंडी जिले में इस समय लगभग 450 बसें चल रह रही हैं जिनमें 1000 निजी बस चालक परिचालक हैं। अभी कुछ बसें ही चली हैं मगर सवारियां न होने और कम संख्या में बिठाने का प्रावधान होने से घाटा ही हो रहा है। ऐसे में चालक परिचालक बेहद परेशानी में हैं, जो राहत का आग्रह कर रहे हैं।