<p>निजी बस ऑपरेटर्स ने किराए में बढ़ोत्तरी समेत अन्य मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। जिसके बाद हिमाचल में करीब 4 हजार निजी बसों के पहिए थम गए हैं। हड़ताल से राज्य में परिवहन व्यवस्था के बुरी तरह चरमराने के आसार लगाए जा रहे हैं।</p>
<p>ऐसे में स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए एचआरटीसी ने अपनी सभी बसों को सड़क पर उतारने का फैसला लिया है। दरअसल, लंबे रूट से आने के बाद एचआरटीसी की बसों को वर्कशॉप में खड़ा कर दिया जाता है, लेकिन आज से ये बसें लंबे रूट से आने के बाद लोकल रूटों पर चलाय जा रहा है। जिससे लोगों को कुछ हद तक राहत मिलने की संभावना है।</p>
<p>बता दें कि एचआरटीसी के बेड़े में 2600 बसें है और काफी संख्या में बसें वर्कशॉप में भी खड़ी रहती है। निजी बस ऑपरेटर्स की हड़ताल को देखते हुए एचआरटीसी ने फैसला लिया है कि सभी बसों को नियमित रूप से चलाया जाएगा और महत्वपूर्ण रूट्स पर बसें भेजी जाएगी। इसके साथ ही निगम कर्मचारियों से अतिरिक्त सेवाएं भी ले सकता है। जिसके लिए कर्मियों को अधिक समय तक काम करना पड़ सकता है।</p>
<p>वहीं, निजी बस ऑपरेटर्स संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही है। ऐसे में अब उनके पास हड़ताल पर जाने का ही रास्ता बचा है। हिमाचल निजी बस ऑपरेटर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने बताया कि डीजल की कीमतों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और बसों का संचालन महंगा हो गया है। सरकार को किराए में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से किराए में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी करने की मांग की है। इसके अलावा न्यूनतम किराया 10 रुपये करने और ग्रीन शुल्क को तत्काल वापस लेने की भी मांग की है।</p>
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