छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में प्लस वन (10+1) में होने वाली एडमिशनों में भारी तानाशाही का आरोप लगाया है। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर प्लस वन की एडमिशनों के लिए एडमिशन फीस लेना बंद न की और मनमानी न रुकी तो स्कूलों के खिलाफ आंदोलन ही विकल्प होगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि सभी निजी स्कूल प्लस वन की एडमिशनों में खुली तानाशाही कर रहे हैं। प्लस वन में एडमिशन फीस के रूप में हज़ारों रुपये वसूले जा रहे हैं। यह फीस सामान्यतः 10 हज़ार रुपये से ज़्यादा है। यही नहीं बल्कि 10वीं से 11वीं में जाने वाले छात्रों की फीस की राशि भी लगभग दोगुना की जा रही है।
ऑकलैंड स्कूल में 10वीं से 11वीं में जाने वाले छात्रों की फीस 45 हज़ार से बढ़ाकर 70 हज़ार की गई है। चेप्सली स्कूल में यह बढ़ोतरी 34 हज़ार से 65 हज़ार है। डीएवी में यह बढ़ोतरी 45 हज़ार से 80 हज़ार है। चेलसी स्कूल में यह बढ़ोतरी 29 हज़ार से 54 हज़ार है। एडवर्ड में यह बढ़ोतरी 45 हज़ार से 70 हज़ार है। इस तरह शिमला शहर के स्कूलों में प्लस वन में छात्रों की फीस लगभग दोगुना करके उनकी भारी लूट की जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्लस वन के छात्रों से एडमिशन फीस एडवांस में ले ली जाती है। प्लस वन का सेशन अप्रैल में शुरू होता है जबकि एडमिशन फीस पिछले साल दिसंबर में ही ले ली जाती है। अगर प्लस वन के लिए एडवांस में एडमिशन फीस देने वाला छात्र फेल हो जाये या स्कूल छोड़ कर चला जाये तो हजारों रुपये की यह एडमिशन फीस वापिस नहीं की जाती। अगर छात्र के अंक कम आएं तो छात्र को जबरन अपनी पसन्द के बजाए दूसरा संकाय चुनने के लिए बाध्य किया जाता है।
कई स्कूल कम अंक पाने वाले छात्रों को जबरन स्कूल से बाहर निकाल देते हैं। इस तरह निजी स्कूलों में भारी तानाशाही और मनमानी है। उन्होंने शिक्षा निदेशक से मांग की है कि निजी स्कूलों की इस तानाशाही पर रोक लगाई जाए।