शिक्षा के नाम पर व्यापार करने वाले निजी स्कूल संचालक अब बख्शे नहीं जाएंगे। प्रदेश के निजी स्कूलों ने अब मनमानी फीस वसूली या कोई कार्यक्रम आयोजित करवाने के लिए अभिभावकों से पैसे मांगे तो उन्हें महंगा पड़ेगा। ऐसी मनमानी करने वाले निजी स्कूलों की शिकायतें बार-बार मिलने पर उन पर कार्रवाई होगी। इसके बावजूद निजी स्कूल भारी भरकम फीस वसूलने से बाज नहीं आए तो उन्हें बंद किया जा सकता है। प्रदेश सरकार ने इस संबंध में तैयारी शुरू कर दी है।
सरकार के आदेश पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार कर शिक्षा विभाग को सौंप दिया है। ड्राफ्ट में निजी स्कूलों पर भी अन्य शिक्षण संस्थानों की तरह कार्रवाई का प्रावधान है।
हालांकि निजी स्कूलों के लिए अलग से आयोग का गठन नहीं किया जाएगा। निजी स्कूलों को निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के ही दायरे में लाया जाएगा।
प्राइमरी, मिडल व सीनियर सेकेंडरी निजी स्कूलोंके आलावा निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के दायरे में कोचिंग सेंटर, ट्यूशन सेंटर, क्रेच, प्ले स्कूल और नर्सरी स्कूल भी लाए जाएंगे। नियामक आयोग इन सभी निजी शिक्षण संस्थानों के मान्यता प्रमाणपत्र भी चेक कर सकेगा।
यदि कोई निजी स्कूल नियमों की अवहेलना या मानकों को नजरअंदाज कर चलाया जा रहा है तो उसे बंद करने के निर्देश भी आयोग जारी कर सकता है।