राज्य सूचना आयोग के हाल ही में जारी आदेश के अनुसार अब सभी निजी विश्वविद्यालय सूचना के अधिकार के दायरे में आएगें। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में स्थित सभी निजी विश्वविद्यालयों को आरटीआई के तहत सूचना देनी होगी।
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में 17 निजी विश्वविद्यालय चल रहे हैं। अपने एक फैसले में राज्य सूचना आयोग ने 2014 में ही साफ किया था कि सभी निजी विश्वविद्यालय आरटीआई के दायरे में होगी, मगर अब कड़े तेवर दिखाते हुए आयोग ने आरटीआई का जवाब न देने वाले विश्वविद्यालय को जुर्माना देने का नोटिस तक दे डाला है।
दरअसल 11 जुलाई 2014 को राज्य सूचना आयोग में एक आरटीआई अपील पर कार्रवाई करते हुए यह आदेश दिए थे कि सभी निजी विवि आरटीआई के दायरे में हैं और सभी निजी विश्वविद्यालय अपने जन सूचना अधिकारी और फर्स्ट अपीलेट अथॉरिटी की नियुक्ति करें, लेकिन 2016 में आरटीआई कार्यकर्ता राहुल पराशर ने जब एपीजी यूनिवर्सिटी से आरटीआई के माध्यम से उनके विश्वविद्यालय में पढ़ रहे एम टेक के छात्रों के नाम मांगे तो विश्वविद्यालय ने जवाब नहीं दिया।
राहुल पराशर ने फिर आरटीआई का जवाब एपीजी यूनिवर्सिटीज के फर्स्ट अपीलेंट अथॉरिटी से मांगा। जन सूचना अधिकारी और फर्स्ट अपीलेंट अथॉरिटी से जवाब नहीं मिलने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। 2017 में राज्य सूचना आयोग ने एपीजी विश्वविद्यालय को नोटिस दिया, जिसमें लिखा की वह एक निजी विश्वविद्यालय है और आरटीआई के दायरे में नहीं आती इसलिए उन्होंने आरटीआई का जवाब नहीं दिया।
उसके बाद मामले राज्य सूचना आयोग के पास चला। राज्य सूचना आयोग ने अब फैसला सुना कर साफ किया कि हिमाचल की सभी निजी विश्वविद्यालय आरटीआई के दायरे में है। ये फैसला 2014 में ही आ गया था निजी विवि एपीजी तीन सप्ताह के अंदर आरटीआई में मांगी जानकारी दें और कहा कि विश्वविद्यालय ने आयोग के आदेशों को दरकिनार किया है और जान बूझकर विश्वविद्यालय ने आरटीआई में मांगी जानकारी छुपाई है।