Follow Us:

बार-बार टूटकर आखिरकार बन ही गया प्रियंका गांधी का आशियाना

पी. चंद |

शिमला से लगभग 9 किलोमीटर दूर छराबड़ा में प्रियंका गांधी के सपनों के घर का काम पूरा हो चुका है। साल 2007 में प्रियंका ने छराबड़ा के समीप घने जंगल में घर बनाने की योजना बनाई थी। करीब साढ़े चार बीघा भूमि का घर बनाने के लिए चयन किया गया। भवन के नक्शे और कई औपचारिकताएं पूरी करने के बाद करीब साढ़े चार बीघा भूमि में भवन निर्माण का कार्य 2008 शुरू हुआ।

साल 2011 में प्रियंका का आशियाना दो मंजिल के करीब बन चुका था कि तभी जमीन खरीदने के बाद इसके डिजाइन का काम कर रही देश की एक नामी कंस्ट्रक्शन कंपनी को भवन निर्माण से हटा दिया गया। प्रियंका को उस कंपनी का काम पसंद नहीं आया। प्रियंका गांधी को हर दफा मकान में कुछ न कुछ कमी लगती रही, जिस वजह से मकान का सारा ढांचा गिरा दिया गया था।

सुर्खियों में रहा प्रियंका का आशियाने का काम

ये मकान उस समय सुर्खियों में आया जब शिमला के तत्कालीन विधायक और वर्तमान में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर मांग उठाई थी कि जनहित को ध्यान में रखते हुए प्रियंका गांधी के भवन निर्माण कार्य की अनुमति को तुरंत रद्द किया जाए और निर्माण कार्य पर भी अविलंब रोक लगाई जाए।

भारद्वाज ने सेवानिवृत्त नेवल अधिकारी कमांडर देविंद्रजीत सिंह का हवाला देते हुए कहा था कि 24 अगस्त 2002 में उन्होंने इस वीवीआईपी क्षेत्र में कॉटेज बनाने के लिए 16 बिस्वा जमीन खरीदी लेकिन उन्हें इस स्थान पर सुरक्षा का हवाला देते हुए निर्माण की इजाजत नहीं दी गई थी। इसके बाद नेवी अफसर देविंद्रजीत सिंह ने इस जमीन को बेच दिया था।
 
उन्होंने सवाल उठाया था कि इस अति महत्वपूर्ण रिट्रीट के संवेदनशील क्षेत्र में निर्माण पर जब पाबंदी है तो रिट्रीट से महज 100 मीटर दूर और कल्याणी हेलीपैड से महज 200 मीटर दूरी होने के बावजूद प्रियंका वाड्रा को किस आधार पर यहां भवन निर्माण की अनुमति दी गई है? उन्होंने अपने पत्र में ये भी लिखा था कि प्रियंका को 4 हजार वर्ग मीटर जगह खरीदने की अनुमति उन्हें एसपीजी स्टेटस के चलते दी गई है। इस सबके बाबजूद प्रियंका गांधी का आलीशान मकान बनकर तैयार हो चुका है। जहां पर प्रियंका गांधी व उनकी मां सोनिया गांधी भी शिमला आती रहती है।