कोरोना के बाद अब पोलन ने राजधानी शिमला में लोगों की मुश्किलें बड़ा दी हैं। देवदार के पेड़ों से गिरने वाले पोलन से वातावरण दूषित हो रहा है जिससे दमा के मरीज़ों को सांस लेने में दिक़्क़त हो रही है। इससे एलर्जी के मामले भी एकाएक बढ़ गए हैं। बात प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी की करें तो रोज़ाना 10 से 15 पोलन प्रभावित मरीज़ पहुंच रहे हैं। शहर के जिन जगहों पर देवदार के अधिक पेड़ हैं। वहां पर ये समस्या अधिक है।
सबसे ज्यादा परेशानी अस्पतालों के पास पेड़ों से पोलन गिरने के कारण हो रही है। पोलन हवा में मिलने के बाद सीधा सांस के माध्यम से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसी तरह से पोलन शरीर के अन्य हिस्सों में भी प्रवेश करता है। इससे आंख, कान, नाक और गले में संक्रमण हो जाता है। जिसके चलते इन दिनों अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है।
आइजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकरी डॉ. जनक राज का कहना है कि हर पतझड़ के मौसम में पेड़ों से पोलन गिरता है ऐसे में इस मौसम में अस्थमा रोगियों की मुश्किलें बढ़ जाती है। पेड़ों से निकलने वाले पोलन से ऐसे लोगों को जिन्हें इस तरीक़े के लक्षण हैं उन्हें बचना चाहिये यदि आवश्यक न हो तो घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस बारें में डॉक्टरों से परामर्श लें। अस्थमा सांस से जुड़ी बीमारी है। मरीज को इस दौरान सांस लेने में तकलीफ होती है। वहीं, सांस की नली में सूजन आ जाती है। इससे फेफड़ों में दबाव महसूस होता है। मरीज की सांस फूलने लगती है खांसी के साथ सीने में जकड़न के अलावा सांस लेने में दिक्कत होती है।