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कृषि उपकरणों की खरीद के लिए 55 करोड़ का प्रावधान: कृषि मंत्री

समाचार फर्स्ट |

कृषि विभाग द्वारा आत्मा परियोजना व जायका परियोजना के सहयोग से जिला कांगड़ा के विकास खंड नगरोटा बगवां में जिला स्तरीय किसान मेले का आयोजन किया गया। इस किसान सम्मेलन में माननीय कृषि मंत्री डॅा. रामलाल मार्कंडेय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस मौके पर कृषि मंत्री ने बताया कि हिमाचल सरकार ने ट्रैक्टर खरीदने के लिए जमीन की शर्त को समाप्त कर दिया है और सभी प्रकार के उपकरण खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा किसानों को स्प्रिंकलर लगाने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस विधि से खेतों में पानी की खपत कम होती है और खरपतवार भी कम होती है। इस वर्ष में अभी तक केंद्र सरकार से कृषि उपकरणों पर अनुदान के लिए 55 करोड़ का बजट मिला है। इसके अंतर्गत जिला कांगड़ा के लिए पहली किस्त के रूप में 60 ट्रेक्टर पर अनुदान देने का प्रावधान किया गया है और अब दूसरी किस्त में 100 ट्रैक्टर के लिए अनुदान राशि का प्रावधान किया जाएगा ।

उन्होंने कहा कि अब हम रासायनीक खेती को खत्म करने वाले हैं क्योंकि रसायनीक खेती से हर वर्ष 25 से 30 प्रतिशत कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इससे पानी भी दूषित होता है। कृषि मंत्री ने बताया कि इस वर्ष दिसंबर महीने तक हिमाचल प्रदेश में 50 हजार किसानों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है । जिला कांगड़ा में अब तक 10478 किसान खेती के लिए रजिस्टर कर चुके हैं और 9400 किसानों ने व्यवहारिक खेती करना शुरू कर दी है।

कृषि मंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा देसी गाय खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है इस प्रकार वर्ष 2022 में हिमाचल को प्राकृतिक खेती राज्य घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि मंत्री ने किसानों से अनुरोध किया कि सभी किसान प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें ताकि वर्ष 2022 तक हम पूरी तरह प्राकृतिक खेती की विधि को अपना सकें। कृषि मंत्री ने  कृषि विभाग द्वारा जिला कांगड़ा में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के वार्षिक प्रतिवेदन 2018-19 का विमोचन किया और कृषि प्रदर्शनी में भाग लेने बाले किसानों को प्रोत्साहन राशि वितरित की।

इस मौके पर उपस्थित माननीय विधायक नगरोटा बगवां अरुण कुमार ने किसानों से कृषि अधिकारियों द्वारा बताई जा रही उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सभी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए ताकि हमें रोगों से मुक्ति मिल सके। इस अवसर  पर डॉक्टर एनके वधान सयुक्त कृषि निदेशक, धर्मशाला द्वारा किसानों को कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई।

किसान मेले में आत्मा परियोजना के अंतर्गत विभिन्न किसान समूह द्वारा प्राकृतिक खेती के उत्पादों पर प्रदर्शनी लगाई गई। इस प्रदर्शनी में आत्मा परियोजना के 10 किसान समूहों ने भाग लिया । जाइका परियोजना के अंतर्गत 3 किसान समूहों ने इस प्रदर्शनी में भाग लिया। इसके अतिरिक्त विभिन्न विकास खंडों से आये हुए बहुत से अन्य किसानों ने भी अपने खेतों की  सब्जियों के उत्पादों को यहां पर प्रदर्शित किया। कृषि विभाग द्वारा किसान सम्मेलन में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के माध्यम से किसानों के मिट्टी के नमूनों का भी परीक्षण किया गया तथा मोबाईल जैव नियंत्रण प्रयोगशाला को यहां लाकर किसानों को जैविक कीट नियंत्रण के बारे में जानकारी दी गयी।

किसान सम्मेलन का आरंभ किसानों को तकनीकी जानकारी देने से किया गया। सबसे पहले डॉ. अशोक कुमार, कृषि विशेषज्ञ, राज्य जैव कीट नियंत्रण प्रयोगशाला, पालमपुर द्वारा किसानों को जैविक कीट नियंत्रण की जानकारी दी गयी। किसान सम्मेलन में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वैज्ञानिक भी उपस्थित रहे। वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को विभिन्न फसलों की खेती के बारे में जानकारी दी गई। डॉक्टर देशराज चौधरी द्वारा इन किसानों को सब्जियों की खेती के बारे में जानकारी दी गई, विशेषकर उन्होंने लहसुन की खेती और प्याज की खेती के बारे में कहा कि प्याज की फसल को तैयार होने पर पतों को गांठ ना दें। डॉक्टर पांडे ने किसानों को धान की खेती के बारे में जानकारी दी। जबकि डॉ0 ठाकुर ने किसानों को पशुओं में विभिन्न रोगों के निदान के बारे में बताया।