राष्ट्रीय पेंशन योजना कर्मचारी महासंघ ने सरकार से मांग की है कि सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के दायरे में लाए जाए। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि सरकार को कर्मचारियों से दगाबाजी महंगी पड़ सकती है। NPS समन्वय समिति के सचिव कुशाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में 80 हजार कर्मचारी है जो आगामी चुनाव में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। NPS के पक्ष में न सरकार और न विपक्ष अभी तक कोई ठोस नीति बनाई है। यदि सरकार ओर विपक्ष ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वह विधानसभा चुनाव में वोट का प्रयोग नहीं करेंगे।
शर्मा ने कहा कि सरकार ने जो नई पेंशन स्कीम 15 मई 2005 को लागू की थी उसका सभी कर्मचारियों ने विरोध किया था। बाबजूद इसके नई पेंशम स्कीम को लागू कर दिया गया। NPS ने कहा कि सरकार कर्मचारियों की जेबें खाली कर रही है। भारत के कई राज्य है जिन्होंने इस को स्वीकार नहीं किया है। लेकिन हिमाचल में 2006 में इसे लागू कर दिया गया। कुशाल शर्मा ने कहा कि NPS का जो भी विधायक विरोध करेगा वे उनका समर्थन करेंगे।
वहीं, शर्मा ने कहा कि कहा कि वर्ष 2003 के बाद सरकारी विभागों में नियुक्त हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसके साथ ही सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के उपर न्यू पेंशन सिस्टम NPS को जबरन थोपा दिया है। कहा कि ऐसा कर सरकार कर्मचारियों का शोषण करने के अलावा निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का काम कर रही है।