हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। चयन प्रक्रिया में एक बार फिर से धांधली के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। लोकसेवा आयोग पर यूजीसी के मापदंडो को पूरा न करने को लेकर गम्भीर आरोप लगे हैं।
चयन प्रक्रिया को लेकर मंडी ज़िला से सम्बंधित मोनिका कौशिक ने सवाल खड़े कर दिए हैं। यही नहीं मोनिका ने राज्यपाल को पत्र भी लिख दिया है ताकि उसको न्याय मिल सके। मोनिका के अनुसार हाल ही में लोकसेवा आयोग द्वारा अंग्रेज़ी विषय के सहायक प्रोफ़ेसर कॉलेज क़ैडर के जिन 95 उम्मीदवारों की चयन सूची जारी हुई है, उसमें बहुत गड़बड़ दिख रही है।
स्क्रीनिंग टेस्ट पास उम्मीदवारों की सूची में नाम शामिल न होने और इंटरव्यू में भाई-भतीजा वाद को लेकर कुछ अभ्यर्थी इंसाफ़ के लिए कोर्ट में चले गए हैं। यही नहीं यूजीसी की 20 नंबर के पर्सनल इंटरव्यू की हिदायतों के बावजूद हिमाचल लोक सेवा आयोग 100 नंबर का इंटरव्यू ले रहा है ।
यह चयन लोक सेवा आयोग द्वारा जारी अधिसूचना 8/2017 के तहत लिए गये आवेदनों एवं लिखित परीक्षा के बाद लिए गये इंटरव्यू के बाद 25 अप्रैल को हुआ है। आरोप है कि इंटरव्यू में कम अंक देकर कई योग्य उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता दिखाया गया । मोनिका का कहना है कि छटनी परीक्षा में अधिक अंक लेने वालों को साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर का रास्ता क्यों दिखाया गया।
मोनिका के अंग्रेजी विषय में छटनी परीक्षा अंको, शैक्षणिक योग्यता एवं यूजीसी के तय मापदंडो के अनुसार चयनित उम्मीदवारों से अधिक अंक रहने के बावजूद उसे साक्षात्कार में कम अंक देकर बाहर कर दिया गया। राज्यपाल को लिखे पत्र में उसका कहना है कि शिमला में उसने 16 अप्रैल को इंटरव्यू दिया था जिसमें उसे कम अंक देकर बाहर का रास्ता दिखाया गया।
जानकारी के अनुसार एक उम्मीदवार निशा ठाकुर कोर्ट के दख़ल के बाद अंग्रेज़ी विषय में कॉलेज क़ैडर सहायक प्रोफ़ेसर के इंटरव्यू के लिए पहुंची। मोनिका ने पत्र में आरोप लगाया कि एक नहीं कई लोगों के साथ ऐसा किया गया जबकि इनसे भी कम अंकों वाले लोगों को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा तैनात किया है। मोनिका मांग कर रही हैं कि जब इंटरव्यू हुआ था, उसकी रिकॉर्डिंग उसे मुहैया करवाई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। इसके अलावा आरटीआई के तहत भी लोक सेवा आयोग से सारी जानकारी मांगी गई है ।
वहीं, लोकसेवा आयोग के सचिव संजीव पठानिया का कहना है कि चयन प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी है , योग्य एवं उच्च शैक्षणिक योग्यता को तरजीह मिलती है। शिकायत मिलने पर ही इस बारे कुछ कहा जा सकता है ।