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दिव्यांगता भी नई रोक पाई रजत के हौसलों की ‘उड़ान’, अब बनेगा डॉक्टर

समाचार फर्स्ट डेस्क |

कहते हैं कि मन में कुछ कर गुजरने की सच्ची लगन हो और इरादे मजबूत हो तो कोई बाधा, लक्ष्य को भेदने में रुकावट नहीं बन सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आनी के होनहार छात्र रजत ने, जिसने दोनों हाथ न होते हुए भी अपनी दिव्यांगता को मात देकर नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है।  रजत को स्टेट कोटे में 14वां रैंक मिला है। रजत कुमार अब लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक से डॉक्टरी की पढ़ाई करेगा।

रजत की उपलब्धि से जहां उसके माता पिता और भाई खुशी से फूले नहीं समा रहे। वहीं, जनता रजत के इस जज्बे से हैरान हैं। रजत कुमार कुल्लू जिला में आनी के रडू गांव से संबंध रखते हैं। उनके पिता जय राम शारीरिक शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

स्कूल में भी अव्वल रहा है रजत

रजत ने मुंह से पेन चलाकर ही 12वीं और 10वीं की परीक्षा में 88 फीसदी अंक हासिल की है।  बहुआयामी प्रतिभा के धनी रजत मुंह से पेंट ब्रश पकड़कर बेहतरीन चित्रकारी भी करता है।  जिसे देखकर बड़े से बड़ा कलाकार भी दंग रह जाता है।  स्कूल में पेंटिंग के हर कंपीटिशन रजत ने अपने नाम किया है।  इसके अलावा वह फुटबॉल का भी अच्छा खिलाड़ी है।

बचपन के हादसे ने बदली जिंदगी

रजत के माता-पिता ने बताया कि बचपन में खेलते समय अचानक वह घर की छत से गुजरती बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था जिससे उसके दोनों हाथ बेकार हो गए और डॉक्टर को उसके दोनों हाथ काटने पड़े।

बिना किसी की मदद के देता है परीक्षा

रजत को पढ़ाई लिखाई करने में किसी की मदद की आवश्यकता नहीं पड़ती है।  वह पढ़ने लिखने सहित घर के सारे काम पांव और मुंह के सहारे करता है।  रजत का यह जुनून दूसरों के लिए एक प्रेरणा है और क्षेत्र को ऐसी होनहार प्रतिभा पर नाज है।