फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा ने हार्ट ब्लॉकेज के दुर्लभ केस का सफल इलाज किया है। इस अनौखे मामले में मरीज के दिल में तीन आर्टरी के बजाय एक ही आर्टरी थी। असमान्य आकृति के ह्रदय की बंद नाड़ी को खोलना डॉक्टरों के लिए बेशक चुनौतिपूर्ण कार्य था, लेकिन उससे ज्यादा उनके लिए यह एक आश्चर्यजनक और बिरला मौका भी था। फोर्टिस कांगड़ा के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ अखिल गौतम ने अपने हुनर और अनुभव के बलबूते इस केस को सफल अंजाम तक पहुंचा दिया।
दरअसल, फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में हार्ट अटैक का यह पहला अद्भुत केस था, जिसे देख डॉक्टर अचंभित रह गए। इस केस में कुदरत ने मरीज को हार्ट में तीन कोरोनेरी आर्टरी की जगह एक ही कोरोनेरी आर्टरी प्रदान की थी। दिल से तीन कोरोनरी आर्टरी निकलती हैं, जो कि शरीर के सभी अंगों को खून रिसाव करती हैं। यह एक कोरोनेरी आर्टरी आगे चलकर तीन हिस्सों में बिखर गई थी। यह मरीज 62 वर्षों तक बिना किसी तकलीफ के जीवन यापन कर रहा था। लेकिन 62 की आयु के बाद उन्हें हार्ट से संबंधित तकलीफ शुरू हुई। स्थिति की नजाकत को समझते हुए परिजन मरीज को फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा लेकर आए।
फोर्टिस कांगड़ा के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अखिल गौतम ने मरीज का गहन परीक्षण किया और एंजियोग्राफी करने की सलाह दी। एंजियोग्राफी के दौरान डॉ अखिल यह देख हैरान रह गए कि मरीज की केवल एक ही धमनी यानि आर्टरी है। विस्तृत आकलन के बाद उन्हें पता चला कि मरीज के दिल से केवल एक ही कोरोनेरी आर्टरी निकली थी, जो कि आगे चलकर तीन में बंट गई थी और उन तीन में से एक में ब्लॉकेज थी।
डॉ अखिल ने अपनी काबलियत और अनुभव की बदौलत इस केस का सफल निदान और इलाज किया। उन्होंने मरीज की बहुत ही सधे तरीके से एंजियोप्लास्टी करके दिल की बंद नाड़ी को खोल दिया। मरीज को तीन दिन तक ऑब्जरवेशन में रखने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस संबंध में डॉ अखिल ने बताया कि दिल की ऐसी बनाबट वाले ऐसे मरीज दुनिया में बहुत ही बिरले होते हैं। आंकड़ों के अनुसार इस तरह के मरीजों की संख्या सिर्फ 0.025 फीसदी के करीब हैं।