मंडी जिले के करसोग उपमंडल में आने वाले ऐतिहासिक कस्बे पांगणा के महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर के परिसर में सराय निर्माण के लिए की जा रही खुदाई के दौरान सूर्य देव की प्राचीन दुर्लभ मूर्ति मिली है। गौरतलब है कि पांगणा सुकेत रियासत की राजधानी रहा है। कला पक्ष की दृष्टि से इस मूर्ति को 12वी शताब्दी का माना जा रहा है। सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच के अध्यक्ष डाक्टर हिमेन्द्र बाली‘हिम‘‘का कहना है कि भगवान सूर्य हिंदू परंपरा के पंचदेवो में माने जाते हैं। पांगणा के देहरी माता मंदिर मे इन पांचों देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदाई में निकली हैं। पांगणा में खुदाई में मिली इस मूर्ति के सिर के पृष्ठ भाग में आभामंडल है जो धर्म चक्र का प्रतीक है। हिंदू धर्म की मूर्ति परंपरा में सूर्य देव की स्थानक मुद्रा में दोनों हाथों में सूर्य भगवान पुष्प लिए हुए हैं।
मूर्ति में सूर्य की छोड़ी पर लंबी दाढ़ी के रूप में दर्शाना ईरानी कला प्रभाव के कारण है। सतलुज घाटी के इस क्षेत्र में सूर्य की ऐसी वैभवपूर्ण मूर्ति का मिलना पांगणा के गौरवशाली इतिहास को सुस्पष्ट करता है। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम के चलते पांगणा के इस शक्ति मंदिर में सूर्य की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया हो। मूर्ति की स्थापना का काल आठवीं-नवीं शताब्दी बैठता है। कला की दृष्टि से यह मूर्ति काओ-ममेल के मंदिरों में स्थापित प्रतिहार शैली की मूर्तियों से कम नहीं है।
पुरातत्व चेतना संघ मंडी द्वारा स्वर्गीय चंद्रमणी कश्यप राज्य पुरातत्व चेतना पुरस्कार से सम्मानित डाक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि सूर्य देव की इस मूर्ति की शोभा देखते ही बनती है। खुदाई मे मूर्ति के प्रकट होने के बाद डाक्टर जगदीश शर्मा ने भाषा एवं संस्कृति निदेशालय के सेवानिवृत्त डिप्टी डायरेक्टर चुनीलाल कश्यप और हिमाचल प्रदेश के राज्य संग्रहालय के प्रभारी संग्राध्यक्ष डाक्टर हरि चौहान से संपर्क कर इस मूर्ति के दिव्य विग्रह के स्वरूप व इसके निर्माण काल की जानकारी प्राप्त कर मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी शनि शर्मा को इस मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया।
डॉक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि देहरी के इस मंदिर में एक विकसित सभ्यता का बेशकीमती पुरातात्विक खजाना दबा पड़ा है।जिसकी कदर अभी तक कोई नहीं जान पाया है। इस स्थान पर पुरातात्विक धरोहरों को खोजने व संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग को वैज्ञानिक और व्यवस्थित प्रयास करने के साथ संस्कृति की अमूल्य धरोहर देहरी माता मंदिर रूपी इस ज्योति स्तंभ के जीर्णोद्धार के साथ यहाँ आस पास निकली मूर्तियो के रख-रखाव के लिए संग्रहालय कक्ष के निर्माण का भरसक प्रयास करना चाहिए।