राजधानी शिमला में पिछला पर्यटन सीजन पानी की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद हरक़त में आई सरकार ने दावा किया कि अब शिमला में पानी की समस्या नहीं होगी। लेकिन बीते तीन चार दिनों से शिमला में पानी की राशनिंग फिर से शुरू हो गई है।
बरसात के मौसम में भी लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। इस मर्तबा गर्मियों के मौसम में भले ही पानी की किल्लत नहीं हुई। लेकिन मॉनसून शुरू होते ही गाद विलेन बन गई है। जिसकी वजह से लोगों को तीसरे दिन पानी के सप्लाई मिल रही है। ऐसे में लोगों को पानी की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है।
वहीं, इस बारे में शिमला की मेयर कुसुम सदरेट का कहना है कि शिमला की 6 पेयजल परियोजनाओं से 50 से ज़्यादा एमएलडी पानी हर रोज मिलता था। जो अब घटकर 35 से 40 एमएलडी रह गया है। जिसकी वजह से तीसरे दिन पानी की सप्लाई दी जा रही है। गिरी नदी में सबसे ज़्यादा सिल्ट है। जिसकी मेन वजह ठेकेदारों द्वारा गिरी के किनारे की जा रही अवैध डंपिंग है। इस डंपिंग की मिट्टी गिरी नदी में आ रही है जिसकी वजह से 20 एमएलडी पानी की जगह नाममात्र पानी की सप्लाई शिमला पहुंच रही है। अन्य परियोजनाओं में गाद की मात्रा कम है।