ह्यूमन राइट्स विभाग पर समाचार फर्स्ट की ख़बर का असर दिखा। विभाग ने तत्काल प्रभाव से विभाग में पदों पर भर्तियां निकाल दी है। एक चेयरमैन और दो मेंबर्स के पद भरे जाने हैं आयोग में, 2005 से निष्क्रिय है आयोग, मानवाधिकार आयोग के गठन के लिए नोटिस जारी हो गया है। हाईकोर्ट के कड़े रुख और कोर्ट में दिए जवाब के अनुसार सरकार ने इन तीनों पदों को विज्ञापित कर दिया है। इसमें एक पद चेयरमैन और दो मैंबर की तैनाती के लिए आगामी 31 दिसंबर तक आवेदन मांगे हैं। चयन कमेटी प्राप्त आवेदनों के आधार पर अध्यक्ष और सदस्यों का चयन करेगी।
आयोग में अध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति का किसी राज्य का मुख्य न्यायाधीश होना जरूरी है या फिर व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो। आयोग के एक सदस्य पद के लिए जिला सत्र न्यायाधीश रहा होना अनिवार्य है। दूसरे सदस्य पद के लिए आवेदनकर्ता को मानवाधिकार मामलों का अनुभव होना चाहिए।
राज्य मानवाधिकार आयोग साल 2005 से निष्क्रिय है। पिछले दिनों हाईकोर्ट की ओर से कड़े आदेश पारित होने के बाद राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत के समक्ष बयान दिया कि राज्य में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बारे में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित कर दिया है। कोर्ट के समक्ष दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि आयोग साल 2005 से कार्य नहीं कर रहा है। सरकार ने इसमें जरूरी पदों पर नियुक्तियां नहीं की जबकि पिछले 15 सालों में तीन बार सरकारें बदल चुकी हैं। जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होने की स्थिति में उनको तुरंत न्याय दिलवाने के लिए कोई उपयुक्त फोरम नहीं है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में सन 2005 से लेकर आज तक ह्यूमन राइट्स का दफ्तर शुरू नहीं हुआ है। हैरानी इस बात की थी कि हमीरपुर से ही एक सेवानिवृत्त अधिकारी सुरेंद्र धीमान ने ह्यूमन राइट्स को एक आवेदन पिछले साल किया था जिसका जवाब ठीक 11 महीने बाद उन्हें मिला। इसमें कहा गया था कि हिमाचल प्रदेश में ह्यूमन राइट्स का कोई कार्यालय कार्यरत नहीं था इसलिए हम आपके प्रश्न का जवाब नहीं दे सकते। इसके बाद ख़बर ब्रेक किया गया औऱ अब विभाग ने इसके पदों पर भर्तियां निकाली हैं।
इस मामले से खेल संबंधित व्यक्ति ने ह्यूमन राइट से पूछा है कि अगर आपके पास 2005 से ह्यूमन राइट्स का दफ्तर नहीं है तो आपने मना करने का जवाब देने में 1 साल का समय क्यों लगा दिया। वहीं, जब हमने हिमाचल प्रदेश के लोकायुक्त कार्यालय में संबंधित जानकारी के लिए फोन किया तो वहां से भी यही जानकारी मिली कि 2005 से ह्यूमन राइट्स का ऑफिस बंद चल रहा है। इसके साथ ही 2016 से हिमाचल प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति भी सरकार से नहीं हो पाई है।