हिमाचल प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस महानिदेशक आईडी भंडारी ने 246 पन्नों की एक किताब लिखी है। उनकी इस किताब का नाम "मिडनाइट रेड " है। पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक राजेंद्र सिंह ने बिलासपुर में इस किताब का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आईडी भंडारी ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। जिस कारण वह पुलिस महानिदेशक के उच्च पद पर आसी हुए थे। लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण उन्हें कुछ परेशानियों का सामना भी करना पड़ा जिनका उन्होंने डटकर सामना किया। यह उनकी ईमानदारी और स्वच्छ छवि का प्रमाण है कि राजनीतिक हस्तक्षेप और दबाव के चलते भी वह बेदाग़ बच निकले।
वहीं दूसरी ओर इस किताब को लेकर आईडी भंडारी का कहना है कि पुलिस अधिकारियों के लिए सेवाकाल के दौरान अपने कर्तव्य निर्वहन के प्रति प्रेरणा स्त्रोत के रूप में उनकी यह किताब उपयोगी सिद्ध होगी । उन्होंने कहा कि अपने जीवनवृत से जुड़ी घटना को मद्देनजर रखते हुए आईडी भंडारी ने अपनी किताब में राजनेताओं के द्वारा विरोधी दलों से अपना बदला लेने के दौरान अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने का भी वर्णन किया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी एक रहस्य खोला कि उन्हें प्रताड़ित करने और झूठा मामला दर्ज करवाने वाले अधिकारीयों पर भी मामला दर्ज करवाया है।
गौरतलब है कि आईडी भंडारी फोन रिकार्डिंग के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने साल 2013 में पुलिस महानिदेशक के पद से हटाया था। उस दौरान आईडी भंडारी पर भी फोन टेपिंग का मामला भी दर्ज हुआ था। मगर इस बारे में आईडी भंडारी का कहना है कि उनपर दायर मामले में वह न्यायालय से बाई इज्जत बरी हुए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस के सीआईडी विंग को टेलीग्राफ एक्ट 1885 के तहत टेलीफोन को रिकार्ड करने का अधिकार है। मगर उसकी पहले सरकार से अनुमति ली जाती है।
उन्होंने कहा कि पुलिस उस स्थिति में टेलीफोन रिकॉर्ड करती है जब कोई मामला असमाजिक तत्वों और देश सुरक्षा से जुड़ा हो। उनके साथ राजनीतिक तौर पर जो भी घटनाक्रम हुआ था उसमें ऐसी कोई भी घटना घटित नहीं हुई थी कि उन पर मामला बनता। मगर कुछ भी नहीं होने के चलते बदले की भावना से सबकुछ राजनीतिक इशारे पर हुआ था जिसमें कि सरकारी धन और मशीनरी का जमकर दुरूपयोग हुआ था।