करीब 100 साल बाद राजधानी शिमला के रिज मैदान स्थित ऐतिहासिक जल भंडारण टैंक की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। 1924 में अंग्रेजों द्वारा बनाएं गए इस टैंक में पानी के लिए 9 चैम्बर बनाए गए। विशेषज्ञों की राय के बाद रिज टैंक की मरम्मत का काम विदेशी कंपनी को सौंपा गया। अब इन दरारों को आधुनिक तकनीक से भरा जाएगा। रिलेक्सों कंपनी की तकनीकी टीम इस काम को कर रही है। टैंक में दरारें पड़ गई है ये दरारें 2017 में टैंक की सफ़ाई के दौरान पहली बार नज़र आई थी। तकनीकी टीम एनआरवी पैकलस तकनीक से तैयार सरफेस से दरारों को भरने का काम चल रहा है।
शिमला जल प्रबंधन के प्रबंधक मेहबूब शैख़ ने बताया कि रिज मैदान स्तिथ दरारों को भरने के लिए एनआरवी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए तकनीकी टीम सरफेस तैयार करेगी। एनआरवी तकनीक में दरारों के साथ बिट से गहरी खोदाई की जाएगी। इसमें बिट के माध्यम से हाई स्ट्रैंथ वाले घोल को प्रेशर के साथ इंजेक्ट किया जाएगा। यह फैलकर पूरी दरारों में भर जाएगा और मजबूती प्रदान करेगा। पहली बार इस टैंक की मुरम्मत की जा रही है। मुरम्मत के बाद उम्मीद है कि लंबे वक्त तक ये मज़बूत रहेगा। इस कार्य के लिए दो माह का वक़्त लगेगा।
अंग्रेजों के जमाने का पानी का भंडारण टैंक रिज मैदान के बीचोंबीच स्थित है, जिसमें करीब 4.60 एमएलडी पानी को स्टोर करने की क्षमता है, जिसे शहर के यूएस क्लब, राम बाजार, लोअर बाजार और चौड़ा मैदान और नाभा, फागली, टूटीकंडी, रामनगर, कृष्णा नगर, कैथू क्षेत्रों में वितरित किया जाता है। टैंक के भीतर नौ चैंबर हैं, जिनमें से चार चैंबर में दरारें पड़ चुकी हैं। यानी कि 30 फ़ीसदी शिमला की आबादी को इसी टैंक से पानी की सप्लाई होती है। अंग्रेजो के जमाने में समूचे शिमला को इसी टैंक से पानी की आपूर्ति होती थी।