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शोधकर्ता बदलते मौसम अनुसार अपने शोध में लाएं बदलाव: राज्यपाल

पी. चंद |

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने नौणी विश्वविद्यालय सोलन के 36वें स्थापना दिवस की ऑनलाइन अध्यक्षता की। इस मौके पर उन्होंने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने और शोधकर्ताओं को अपने शोध को बदलते मौसम के अनुसार बदलाव लाने की आवश्यकता पर बल दिया है। विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि एशिया के पहले बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के रूप में इस संस्थान ने पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय में बागवानी व वानिकी शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। इसके परिणामस्वरूप ही नई कृषि तकनीक लाखों किसानों के खेतों तक पहुंची है। 

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इस वर्ष जारी ‘‘रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशन ऑन इनोवेशन अचीवमेंट’’ में नौणी विश्वविद्यालय को देश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों की श्रेणी में शीर्ष बैंड-‘ए’ में शामिल किया है। कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में भी यह विश्वविद्यालय देश भर में 12वें स्थान पर है। उन्होंने शोधकर्ताओं से नई किस्मों और कृषि तकनीकों के विकास पर बल दिया। उन्होंने प्राकृतिक खेती को वैज्ञानिक इनपुट से और बेहतर बनाने में सहयोग की अपील की। 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वैज्ञानिकों को शोध कार्य जमीनी स्तर पर ले जाना चाहिए, तभी वांछित परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसानों और बागवानों को आधुनिक किस्में और तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित करें तो उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। शोध कार्य को किसानों तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों को विशिष्ट कार्य दिया जाना चाहिए। 

जयराम ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में कुल कृषि उत्पादों का 33 प्रतिशत बागवानी उत्पाद है और इसके कारण पिछले 10 वर्षों में बागवानी क्षेत्र में 2.6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई और उत्पादकता में 4.8 प्रतिशत बढ़ौतरी हुई है। उन्होंने कहा कि बागवानी क्षेत्र प्रदेश के लोगों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में हिमाचल प्रदेश का सेब उत्पादन में पांचवां स्थान है और वर्ष 2019-20 के दौरान प्रदेश में फलों का सकल मूल्य लगभग चार हजार करोड़ रुपये दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि अधिनियम किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में एक और महत्त्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इस अधिनियम से किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य सुनिश्चित होंगे।