योल के निवासियों को पंचायती राज की आस बंधी है। इसके लिए ग्राम निर्माण पंचायती राज संघर्ष समिति ने बाकायदा फिर हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर पंचायती राज का पक्ष रखा है। इसके लिए न्यायालय ने सुनवाई के लिए पहली दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है। जिसमें दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।
इस पर पंचायती राज संघर्ष सीमिति के अध्यक्ष ज्ञान चंद ने बताया कि दिसंबर 2018 के दौरान न्ययालय ने बाकायदा पंचायती राज के हक में फैसला दिया था और इसके मार्च 2019 तक केंद्रीय सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार से इस पर कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए थे, लेकिन इसके बावजूद अब तक बात आगे न बढ़ने पर संघर्ष समिति को फिर न्यायलय का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होना पड़ा। बहरहाल अब कैंट बोर्ड के निवासियों को पंचायती राज मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
कैंट बोर्ड के निवासियों पर भारी भरकम घर कर का बोझ डाल दिया। इस कारण 2013 के दौरान होने वाले चुनाव का खुलकर बहिष्कार किया गया। यही वजह रही कि सात साल बीत जाने के बाद भी कैंट बोर्ड का चुनाव न होने से आज तक सात वार्डों से कोई भी जनप्रतिनिधि वोर्ड में नहीं है। सारी शक्तियां सीईओ और सैन्य अधिकारियों के पास ही निहित हैं। आपको बता दें कि अंग्रेजी शासन काल के दौरान वर्ष 1941 को कैंट बोर्ड की स्थापना हुई थी। यहां सैन्य छावनी के साथ इटालियन कैदियों को भी रखा गया था।