हिमाचल में सड़कों की दयनीय स्थिति किसी से छिपी नहीं है। समस्या यह है कि निर्माण कार्य इतना घटिया हो रहा है बहुत जी जगहों पर कि पक्की किए जाने के कुछ ही महीने के अंदर सड़कों की स्थिति कच्ची से भी बदतर हो जाती है। हालांकि सड़क पक्की होने के बाद स्थानीय जनता इतना तो मान कर ही चलती है कि दो साल तक टायरिंग नहीं उखड़ेगी, लेकिन अगर 30 दिन में टायरिंग की गई सड़क के बीचों-बीच घास उगने लगे तो आप समझ जाइए कि टायरिंग के नाम पर कितनी लीपापोती हुई होगी।
हाल ही में ऐसी ही कुछ तस्वीरें सामने आई हैं। सड़क में कई जगह बीचों-बीच घास उग गई है तो कहीं सड़क में इतने बड़े गड्ढे पड़ गए हैं, जैसे कई सालों से सड़क में टायरिंग नहीं हुई है।
बताया जा रहा है कि टायरिंग का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा ठेकेदार से करवाया गया है। स्थानीय युवा इस सड़क के फोटो सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि टायरिंग ने नाम पर लीपापोती हुई कैसे। हालांकि संबंधित सेक्शन जेई का कहना है कि टायरिंग में घटिया सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है और बाकायदा टेस्ट लिए गए हैं, लेकिन सड़क की तस्वीरें तो कुछ और ही बयां कर रही हैं।
विभाग भी शक के घेरे में
प्रदेश के सबसे बड़े विभाग के कामकाज का तरीका और साथ ही क्वालिटी सवालों के घेरेविभाग की पक्की सड़क के बीचोंबीच घास उग गई है। यह घास भी हल्की-फुल्की नहीं, बल्कि गड्डियों के हिसाब से है। मामला सुर्खियों में आते ही लोक निर्माण विभाग इससे अब अपना पल्ला झाड़ने लगा है और सारा का सारा ठीकरा ठेकेदार के सिर पर ही फोड़ने लगा है। आलम यह है कि टायरिंग के एक महीने बाद ही पक्की सड़क पर घास उग आई है।
आधी-अधूरी जो पानी की निकासी की व्यवस्था की है, वह भी मलबे से दब चुकी है। निकासी न होने के कारण पानी सड़क पर बह रहा है, जिससे सड़क भी नाले में तबदील हो चुकी है। एक महीने पहले ही पक्की की गई सड़क को देखकर लगता ही नहीं है कि यह काम मापदंडों और क्वालिटी के हिसाब से सही तरीके से हुआ है।
सड़क पर उगी घास खोल रही गड़बड़ी के राज
सड़क पर उगी घास काम के वक्त हुई गड़बड़ के राज खोलने लगी है। हाल अब कुछ ऐसा हो गया है कि सड़क के बीचों-बीच उगी पौना फुट की घास के चलते दोनों तरफ सिर्फ चलने योग्य रास्ता ही रह गया है। ऐसे में लगता ही नहीं है कि यह सड़क है। ऐसे में लोक निर्माण विभाग सड़क की मेटलिंग के वक्त क्या कर रहा था। सवाल उठ रहे हैं कि क्यों मैटलिंग के वक्त सामग्री की गुणवत्ता चैक नहीं की गई। पक्की सड़क के बीचोंबीच घास उगने का कारण सरेआम साम्रगी में मिलावट है। रेत में ज्यादा मिट्टी होने के कारण ही पक्की सड़क पर घास उगी हुई है।
क्वालिटी कंट्रोल पर भी उठने लगे सवाल
मेटलिंग के नाम पर सिर्फ एक आधा इंच तक ही रोड़ी और कोलतार डाली है और वह इतनी घटिया क्वालिटी की है कि घास की कोमल कोंपलें भी उसे चीर सड़क के बीचों-बीच निकल आईं हैं और सीधे-सीधे सारी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रही हैं।