जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के लोगों का सपना साकार होता दिखाई दे रहा है। लाहौल वासियों के सपनों की रोहतांग टनल के दोनों छोर आपस में जुड़ गए हैं। हालांकि इस टनल में अभी वाहनों की आवाजाही शुरू करने में दो साल का और वक्त लगेगा लेकिन खुदाई के चलते दोनों छोर आपस में जुड़ने से लाहौल वासियों के साथ साथ प्रदेश वासियों के भी चेहरे खिल उठे हैं।
3 घंटे के समय की होगी बचत
8.8 किलोमीटर लंबी सुरंग के शुरू होने से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 48 किलोमीटर कम होगी और मनाली से केलांग पहुंचने में लोगों की 3 घंटे के समय की भी बचत होगी।
बर्फ के बावजूद खुला रहेगा मार्ग
रोहतांग टनल के शुरू होने से घाटी के लोगों को अब 6 महीने बर्फ की कैद में नहीं रहना पडे़गा और न ही रोहतांग दर्रा में लोगों को बर्फ के बीच जान गवानी पडे़गी। सर्दियों के दौरान भी मनाली से केलांग के लिए फर्राटे से वाहन दौडेंगे।
रोहतांग टनल परियोजना के चीफ इंजिनियर एनएम चन्द्राना ने बताया कि सुरंग के दोनों छोर आपस में मिल चुके हैं और 2019 तक यह सुरंग जनता को समर्पित कर दी जाएगी। यह सुरंग देश की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
बता दें इस सुरंग का शिलान्यास कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनियां गांधी ने 28 जून, 2010 को किया था और सुरंग निर्माण पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2015 तक रखा गया था लेकिन निर्माण पूरा नहीं हो पाया और अब यह सुरंग यातायात के लिए वर्ष 2019 में तैयार होगी। फिलहाल सुरंग के छोर जुड़ गए हैं और सुरंग निर्माण की लागत करीब 4 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।