➤ संजौली मस्जिद का बिजली–पानी काटने की मांग पर 12 दिन से अनशन जारी
➤ संघर्ष समिति ने सरकार की शव यात्रा निकाली और पुतला दहन किया
➤ वक्फ बोर्ड ने मस्जिद गिराने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, सोमवार को सुनवाई
शिमला। राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद विवाद को लेकर तनाव दोबारा बढ़ गया है। विवादित मस्जिद का बिजली-पानी काटने की मांग को लेकर 12 दिन से अनशन पर बैठे हिंदू संघर्ष समिति के सदस्यों ने शनिवार को सरकार की शव यात्रा निकाली और पुतला दहन किया।

समिति का कहना है कि प्रशासन ने 29 अगस्त की बैठक के लिए लिखित निमंत्रण नहीं दिया, इसलिए उन्होंने मीटिंग का बहिष्कार किया। पदाधिकारी विजय शर्मा ने कहा कि निमंत्रण आधिकारिक होना चाहिए था और प्रशासन पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया।
इससे पहले शुक्रवार को संजौली पुलिस स्टेशन के बाहर समिति और अन्य संगठनों ने भारी संख्या में प्रदर्शन किया था। लगभग 10 मिनट का चक्का जाम भी लगाया गया था। प्रशासन ने मांगों पर विचार का भरोसा दिया था, जिसके बाद समिति ने आमरण अनशन वापस लेकर क्रमिक अनशन जारी रखा था।
समिति ने अब आंदोलन उग्र करने की चेतावनी दी है। उधर, यह मामला हाईकोर्ट में पहुंच चुका है, जहां वक्फ बोर्ड ने शिमला नगर निगम आयुक्त और जिला अदालत के मस्जिद गिराने के आदेश को चुनौती दी है। इस रिट याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सोमवार को सुनवाई हो सकती है।
बीते वर्ष 31 अगस्त को मैहली में दो गुटों के बीच हुई झड़प के बाद विवाद सुर्खियों में आया। इसके बाद 1 सितंबर को संजौली मस्जिद के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। 11 सितंबर को उग्र आंदोलन के दौरान पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
12 सितंबर को मस्जिद कमेटी ने स्वयं निगम आयुक्त कोर्ट में पेश होकर अवैध हिस्से को हटाने की पेशकश की।
5 अक्टूबर को निगम आयुक्त ने मस्जिद की ऊपर की तीन मंजिलें गिराने के आदेश दिए, जिनमें से दो मंजिलें तोड़ी भी गईं।
3 मई 2025 को मस्जिद को पूरी तरह अवैध घोषित कर ढांचा गिराने का आदेश दिया गया।
वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी ने इस आदेश को जिला अदालत में चुनौती दी, लेकिन 30 अक्टूबर को अदालत ने निगम के फैसले को सही ठहराते हुए पूरी मस्जिद गिराने के लिए 30 दिसंबर तक का समय दिया।
14 नवंबर को हिंदू संगठनों ने बाहरी राज्यों के मुस्लिमों को मस्जिद में नमाज पढ़ने से रोका। पुलिस ने 6 लोगों पर FIR दर्ज की, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया।
इसी के विरोध में 18 नवंबर से आमरण अनशन शुरू किया गया, जिसे बाद में प्रशासन के आश्वासन पर क्रमिक अनशन में बदला गया।



