हिमाचल

स्क्रब टाइफस से बचाव के दृष्टिगत घरों के आसपास घास फूस और झाड़ियां नहीं उगने दें

राज्य स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशवासियों का आह्वान किया है कि स्क्रब टाइफस से बचाव के दृष्टिगत अपने घरों और आसपास के क्षेत्र में झाडि़यां और घास फूस न उगने दें। झाडि़यों और घास फूस में पाए जाने वाले कीड़ों के माध्यम से यह रोग फैलता है। विभाग ने लोगों को स्क्रब टाइफस से सतर्क रहने की सलाह दी है। विभाग के प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि डेंगू और चिकनगुनिया के मामले जहां शहरी क्षेत्रों में पाए जाते हैं, वही स्क्रब टाइफस के मामले अधिकतर गांवों में सामने आते हैं। स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरिया का संक्रमण है और इसके लक्षण चिकनगुनिया जैसे ही होते हैं।

उन्होंने कहा कि इस बीमारी में सिर दर्द, सर्दी लगना, बुखार, शरीर में दर्द तथा तीसरे से पांचवे दिन के बीच शरीर पर लाल दाने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मरीज में रोग के सभी या कुछ लक्षण सामने आ सकते हैं। इस रोग की अवधि दो से तीन सप्ताह की होती है। यह रोग कीड़ों के काटने से फैलता है।

प्रवक्ता ने कहा कि संक्रमित होने के पश्चात् मरीज बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस करता है और कुछ लोगों में जी-मिचलाने की भी शिकायत देखी जाती है। स्क्रब टाइफस बुखार 7 से लेकर 12 दिनों तक रहता है। बुखार बिगड़ने की स्थिति में कमजोरी और अधिक बढ़ती है। मरीज को बेहोशी और हृदय संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। बुखार के चैथे से छठे दिन के भीतर शरीर पर दाने निगल आते हैं। यह रोग कम आयु के लोगों के खतरनाक नहीं होता है, लेकिन 40 वर्ष से अधिक आयु के 50 प्रतिशत मरीजों और 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के मरीजों के लिए स्क्रब टाइफस जानलेवा भी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जनवरी-2021 से 12 अक्तूबर, 2021 तक राज्य में स्क्रब टाइफस के लिए लगभग 4382 टेस्ट किए गए, जिनमें 648 लोग स्क्रब टाइफस पाॅजिटिव पाए गए। इसी अवधि के दौरान जिला बिलासपुर में 132, चंबा में 45, हमीरपुर में 56, कांगड़ा में 63, किन्नौर में 3, कुल्लू में 17, मंडी में 97, शिमला में 153, सिरमौर में 25, सोलन में 37, ऊना में 19 के अलावा आईजीएमसी शिमला व मेडिकल काॅलेज टांडा में एक-एक मामला स्क्रब टाइफस पाॅजिटिव पाया गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान स्क्रब टाइफस से 6 लोगों की मृत्यु दर्ज की गई हैं।

उन्होंने लोगों को सलाह दी कि किचन गार्डन में दवा का छिड़काव करें ताकि इस रोग के संक्रमण से बचा जा सकें। उन्होंने कहा कि इस रोग के उपचार के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाएं उपलब्ध करवाई गई हैं।

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