हिमाचल प्रदेश में कोरोना का संक्रमण अभी तक थमा नहीं है। ऐसे में लोगों की ढील बरतना महंगा पड़ा सकता है। इसी संबंध में शिमला शहरी के एसडीएम मंजीत शर्मा शुक्रवार को बाज़ार में नियमों का पालना करवाने निकले। इस दौरान बाजार में कई राहगीरों औऱ दुकानदारों सहित पर्यटकों के चालान भी किये गए। एसडीएम ने कहा कि ये रूटीन कार्रवाई है जो निरंतर की जा रही है। जो लोग सही से मास्क नहीं पहन रहे उन्हें भी हिदायत दी जा रही है।
वहीं, चालान काटने को लेकर शिमला बाजार के कई लोगों औऱ व्यापारियों ने भी विरोध जताया। कई लोगों का कहना है कि मास्क हल्का सा नीचे होने पर चालान काटा गया, जबकि प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर और पुलिस प्रमुख संजय कुंडु कई दफा बिना मास्क के दिखते और मिलते हैं। नियम कानून तो सही हैं, लेकिन अगर हम ग़लती करते हैं तो उसका ख़ामियाजा भुगतना पड़ता है जबकि सरकार या कोई बड़ा अधिकारी ग़लती करता है तो उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती।
आक्रोशित लोगों ने कहा कि अगर नियम हो तो सबके लिए एक नहीं तो न हों। जब जनता के हलका सा मास्क नीचे रखने पर चालान देना पड़ता है तो नेता और अधिकारियों को क्यों नहीं? अगर हमारी सरकार, प्रशासन औऱ सिस्टम ऐसा नहीं कर सकते तो जनता को भी बेवजह परेशान न किया जाए। हम ये नहीं कहते है कि हमसे ग़लती नहीं हुई, लेकिन जो बाकी अधिकारियों नेताओं से ग़लतियां हुई हैं उन्हें नज़र अंदाज और हमारे चालान क्यों?? अगर ऐसा ही रहा तो ये कहना ग़लत नहीं कि प्रशासन आए दिन नियमों के पालन का हवाला देकर पैसे बटोर रहा है…!!!
वहीं, SDM मंजीत शर्मा ने कहा कि हम जब ग्राउंड पर उतरते हैं तो लोग विरोध करते ही हैं। लेकिन हम प्रोटोकॉल के तहत जो कार्रवाई होती है उसे करते हैं।
उल्लेखनीय है कि जनता की बात पर ग़ौर किया जाए तो वे कुछ हद तक सही भी मालूम पड़ती है। उदाहरण के तौर पर हाल ही में मुख्यमंत्री के शिमला जुब्बल दौर की तस्वीर भी आप देख सकते हैं जिसमें प्रदेश के मुखिया तक ने मास्क को नहीं पहना। ऐसे पहले भी कई नेता औऱ पुलिस प्रमुख तक करते रहे हैं।