सरकार ने हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को भंग कर दिया है। कैबिनेट में अहम फैसला हिमाचल ट्रिब्यूनल को फ़िर बन्द करने का फैसला लिया गया। अब नई ट्रांसफर पॉलिसी बनेगी। ये निर्णय बुधवार को शिमला में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए। बैठक में ट्रिब्यूनल बंद करने पर मुहर लगा दी गई।
अब ट्रिब्यूनल को बंद करने का प्रस्ताव औपचारिक मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलते ही ट्रिब्यूनल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को न्याय पाने के लिए अब प्रदेश उच्च न्यायालय जाना होगा। ट्रिब्यूनल कर्मचारियों से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहा था। भाजपा सरकार ने दूसरी बार ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला लिया है। इससे पूर्व धूमल सरकार ने भी ट्रिब्यूनल को भंग करने का कड़ा फैसला लिया था।
बता दें कि 1 सितंबर 1986 को गठित हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल को धूमल सरकार ने 2008-09 में खत्म कर दिया था। प्रदेश के कर्मचारियों की मांग के चलते वीरभद्र सरकार ने 2015 में दोबारा ट्रिब्यूनल का गठन किया। सत्ता में वापसी करते ही तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने इसे पलट दिया था। बहाली के दौरान उच्च न्यायालय से 17 हजार मामले सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल के पास आए थे। लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार ने रिक्त पदों पर नियुक्तियां नहीं करके ट्रिब्यूनल को बंद करने के संकेत दिए थे।
प्रदेश में सड़क सुरक्षा नियमों को पूरी तरह लागू करने के लिए परिवहन निदेशालय में निदेशक आयुक्त परिवहन की अध्यक्षता में लीड एजेंसी सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा। यह प्रकोष्ठ राज्य में सड़क सुरक्षा गतिविधियों की निगरानी करेगा। इसमें पुलिस, लोक निर्माण, शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभागों के विशेषज्ञों के अतिरिक्त अन्य सहायक स्टाफ तैनात किया जाएगा।