वरिष्ठ साहित्यकार एवं प्रदेष के सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय, धर्मशाला में बतौर उप निदेशक तैनात अजय पाराशर ने आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को नूरपुर में अपनी सद्य् प्रकाशित काव्य पुस्तक “कस्तूरी“ भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके अलावा अपनी दो अन्य पुस्तकें, जिनमें एड्स पीड़ितों की व्यथा को दर्शाता कहानी संग्रह “मैं जीना सिखाता हूं“ और काव्य संग्रह “मौन की अभिव्यक्ति“ शामिल हैं, भी भेंट की।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अजय पाराशर को उनकी नवीनतम पुस्तक के लिए बधाई देते हुए कहा कि उनके इस प्रयास से प्रदेश के साहित्य को और समृद्ध बनाने में सहायता मिलेगी। साहित्य समाज का दर्पण है और साहित्यकारों के प्रयास लोगों को समाज की तमाम गतिविधियों और दशाओं से अवगत कराते हैं। साहित्य हमें विभिन्न देशों और काल से रू-ब-रू करवाता है।
ग़ौरतलब है कि हिमाचल में साल 1947 के बाद ऊना क्षेत्र के जगत प्रकाश शास्त्री की सतसई के उपरान्त 73 सालों बाद प्रकाशित होने वाली यह पहली दोहावली है। इस दोहावली को सात खंडों-आराधना, नैना, श्रृंगार, दर्शन, नीति, प्रकृति और लोकोक्तियों पर आधारित दोहों के माध्यम से विभाजित 20 उपखंडों-राम, शाम, शिव, पिताजी, प्रेम, रासलीला, श्रृंगार, दर्शन, चौरासी, चरखा, गुरू, मन, बिरह, नीति, आडम्बर, देह, दरिया, प्रकृति, मौसम तथा कागा में जीवन के तमाम पहलुओं को छूने का प्रयास किया गया है। लौकिक एवं लोकोत्तर के विस्तार में आत्म तथा अनात्म, व्यक्तित्व की खोज, अस्मिता की तलाश, आत्म-समर्पण, बौद्धिकता, संवेदन और सम्प्रेषण, संयम-संतुलन आदि में भटकते हुए, इस संग्रह में इसमें कुल 709 दोहे शामिल हैं। इस अवसर पर अजय पाराषर ने बताया कि वह आजकल ड्रग्स प्रभावित व्यक्तियों और पौंग बॉंध विस्थापितों की व्यथाओं पर आधारित कहानियों पर काम कर रहें हैं। यह दोनों पुस्तकें के इस साल के अंत तक प्रकाशित होने की सम्भावना है।