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मंडी में खोला जाए बंदोबस्त मंडल: किसान यूनियन

डेस्क |

हिमाचल किसान यूनियन ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि मंडी में खोले गए बंदोबस्त कार्यालय जिसे बंद कर दिया गया है उसे फिर से खोला जाए ताकि गिरदावरी आदि का काम मौके पर जाकर हो न कि इसे कार्यालय में बैठकर ही निपटाया जाता रहे।

किसानों की कई मांगों को लेकर शुक्रवार को हिमाचल किसान यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी से मिला तथा उन्हें ज्ञापन सौंपा।

इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशाध्यक्ष सीता राम वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष भूपेंद्र सेन, राज्य संगठन सचिव कर्मू राम, जिला प्रधान भूप सिंह, महासचिव दुनी चंद शर्मा, राज्य महासचिव तेज नाथ शर्मा, धनोटू खंड के प्रधान परमा राम, सचिव कर्म चंद, प्रदेश कोषाध्यक्ष मान सिंह राणा व गोहर के प्रधान गगन शर्मा शामिल रहे।

प्रदेशाध्यक्ष सीता राम वर्मा ने बताया कि उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में मांग उठाई गई कि बीएसएल परियोजना के लिए धनोटू खंड की कोट पंचायत में अनुसूचित जाति के जिन परिवारों ने अपनी बेशकीमती जमीन दी है उन्हें बदले में प्रदेश सरकार ने जो जमीन दी है.

उसका मालिकाना हक 50 साल बाद भी इन परिवारों को नहीं मिला है। मांग की गई कि 29-30 अक्तूबर को रखे गए इंतकाल दर्ज करने के विशेष अभियान में इसे भी शामिल करके इन लोगों को मालिकाना हक दिया जाए।

यूनियन ने प्रदेश में किसान आयोग का गठन करने, कृषि विस्तार अधिकारियों को कृषि विकास अधिकारी पदोन्नत करने, एईओ के रिक्त पद भरने, सुंदरनगर के 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फैले ताम्र गिरी पर्वत की बाड़बंदी करने के वन विभाग को आदेश देने,सीर व सुकेती खड्डों का तटीकरण करने, बल्ह विकास खंड के सोयरा पंचायत के क्रेहड़ी नाला को सुकेती में मिलाने, कृषि विकास अधिकारियों का महीने में 15 दिन फील्ड दौरा सुनिश्चित करने, लूणापानी में बने किसान भवन में किसान यूनियन की बैठक के लिए स्थान देने, पूरे जिले में कृषि उपकरणों के एक समान रेट करने, जिले के लिए स्वीकृत तीन गो अभ्यारण्यों का निर्माण शुरू करवाने, बल्ह के जरलू में मंजूर सब्जी मंडी के निर्माण को गति देने, डडौर नागचला फोरलेन के दोनों ओर किसानों को अपनी जमीन में ट्रैक्टर ले जाने के लिए व्यवस्था करवाने, बाल्ट पंचायत की गमौलती खड्ड पर पुल कर निर्माण करने की मांग भी उठाई गई।

प्रदेशाध्यक्ष सीता राम वर्मा ने बताया कि उपायुक्त ने कहा कि जिला स्तर पर निपटाई जाने वाली सभी मांगों को लेकर वह जरूरी कार्रवाई करेंगे जबकि राज्य स्तर की मांगों को उचित कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा।