मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज यहां ‘गौ माता का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि गौ माता मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ प्राकृतिक खेती कृषि के लिए भी अत्यन्त लाभदायक है। प्रदेश सरकार गौवंश की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम का आयोजन आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश और कल्याणी पहाड़ी गऊ विज्ञान केन्द्र, राम कमल चैरिटेबल और रिलिजियस ट्रस्ट शिमला द्वारा पोर्टमोर विद्यालय में किया जा रहा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के आरम्भ में ही हिमाचल में गौ संरक्षण बोर्ड के गठन और प्रति शराब की बोतल पर एक रुपये का टैक्स लगाने का निर्णय लिया, जिससे प्रदेश में गौ अभ्यारण्य और गौ सदनों का निर्माण एवं रख-रखाव किया जा रहा है। इससे बेसहारा पशुओं को आश्रय प्राप्त होगा। उन्होंने लोगों से पशुओं को बेसहारा न छोड़ने का आग्रह भी किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिक दूध उत्पादन के लिए विज्ञानी और पशुपालक गौवंश की विदेशी और आयातित नस्लों का चुनाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब लोगों ने देसी गौ नस्लों के महत्व को पहचाना है, जिसमें स्वास्थ्य लाभों के अतिरिक्त इन नस्लों का भारतीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होना है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गैर सरकारी संगठनों तथा धार्मिक संस्थाओं से गौ की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही सिरमौर ज़िला के कोटला में गौ अभ्यारण्य स्थापित करने जा रही है। प्रदेश के अन्य भागों में भी बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने के लिए इस प्रकार के अभ्यारण्य स्थापित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय ममता का सार्वभौमिक प्रतीक है और भारतीय मान्यताओं के अनुसार गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं और गौ सेवा से मोक्ष प्राप्त होता है।