शिमला सफाई कर्मचारियों ने एक बार फिर से घर-घर कूड़ा एकत्रित करने से मना कर दिया है और पांच दिन के अवकाश पर जाने का ऐलान कर शिमला के लोगों और नगर निगम शिमला दोनों की दिक्कतें बढ़ा दी हैं। रोज सुबह हर घर तक जाने वाले कर्मचारियों की मांगों को पूरा न किए जाने के खिलाफ हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है। हालांकि, निगम ने सफाई कर्मियों का वेतन दस फीसदी बढ़ाया है, बावजूद इसके वह हड़ताल पर चले गए हैं। इसके चलते शुक्रवार को शिमला के घरों से कूड़ा नहीं उठाया गया।
कर्मचारी निगम प्रशासन से सभी कर्मचारियों को अपने अधीन करने समेत ठोस नीति बनाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन अभी तक इस संदर्भ में कोई फैसला नहीं लिया गया है। इसको लेकर चार दिन पहले निगम प्रशासन एवं कर्मियों के बीच बैठक हुई, जो कि बेनतीजा रही है। शिमला नगर निगम में सैहब सोसाइटी के अंतर्गत लगभग 400 सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं।
घर घर कूड़ा एकत्रित करने वाले कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से भारत के स्वच्छता अभियान की तरह धज्जियां उड़ती नज़र आ रही हैं। स्थानीयों लोगों को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अब ऐसी कोई जगह शिमला में चयनित नहीं है जहां कूड़ा फेंका जा सके। ऊपर से कोर्ट के आदेशों के बाद नगर निगम शिमला को डंपर फ्री कर दिया गया है। ऐसे में यदि ये हड़ताल लंबी खिंचती है, तो राजधानी शिमला में गंदगी के ढेर जगह-जगह दिखाई देंगे।