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CPIM ने जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर किये गए बर्बर लाठीचार्ज की निंदा की

पी. चंद |

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की राज्य कमेटी कल दिल्ली पुलिस द्वारा जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर किये गए बर्बर लाठीचार्ज, गोलीबारी और विश्विद्यालय में की गई तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करती है और इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की मांग करती है। इसके साथ ही नागरिकता संशोधन बिल पारित करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करती है। सीपीएम का मानना है कि नागरिकता संशोधन बिल के माध्यम से नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों को जिस तरह से बदला गया है। वह भारत की बुनियाद, भारत के संविधान पर हमला है और साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 15, जिसमें समानता का अधिकार दिया गया है, का भी खुला उल्लंघन है। एक ऐसा संशोधन बिल जो भारत की बुनियाद, यानि धर्मनिरपेक्षता पर ही हमला करता हो, बिलकुल भी स्वीकार्य नहीं है।

इस बिल के पारित होने के बाद पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से अवैध रूप से भारत में आये 6 धर्म विशेष के लोगों को बिना वैध दस्तावेजों के भी भारत की नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ़ हो गया है। इसमें एक धर्म विशेष के लोगों को बिलकुल बाहर रखा गया है। भारत की विशेषता यह रही है कि हमारे संविधान के अनुरूप भारतीय राज्य धर्म के आधार पर न तो किसी से भेदभाव करता है और न ही यहाँ धर्म के आधार पर नागरिकता दी जाती है। देशवासियों का सबसे बड़ा विरोध यह है कि इस संशोधित विधेयक में नागरिकता पाने का आधार धर्म को बनाया गया है। यानि एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य में नागरिकता के मामले में धार्मिक भेदभाव का प्रावधान कर दिया गया है। इसके अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के छः धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी गई है।

ऐसे सभी प्रवासी जो छः साल से भारत में रह रहे हैं उन्हें भारत की नागरिकता मिल जायेगी। पहले यह समय सीमा 11 साल थी। यानि पहले जिन प्रवासियों को भारत में रहते हुए 11 साल हो जाते थे वे नागरिकता के लिए आवेदन के लिए योग्य होते थे, लेकिन अब यह समय सीमा भी कम की है और नागरिकता को धर्म से जोड़ा गया है, कोई वैध दस्तावेज देना भी जरूरी नहीं है। मोदी और शाह की जोड़ी के द्वारा नागरिकता संशोधन अधीनियम को पारित करा कर देश के धर्मनिरपेक्षता के स्वरूप और सिद्धान्त को समाप्त कर देश में आरएसएस के 'हिंदू राष्ट्र' की राजनीतिक मंशा को थोपने का कार्य किया जा रहा है।

सीपीएम का मानना है कि एक तरफ तो देश गर्त में जा रहा है, अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। मुनाफे में चल रहे सार्वजानिक उद्यमों को कौड़ियों के भाव चंद पूंजीपतियों को बेचा जा रहा है। छोटे कल-कारखाने बंद हो रहे हैं। पिछले एक साल में ही बेरोजगारों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है और देश में 1 करोड़ 10 लाख नए बेरोजगार जुड़ गए हैं। कर्ज के बोझ तले दबकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सस्ती शिक्षा की मांग करने वाले छात्रों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। अपने देश के करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनको घर बनाने के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा देने को भी मोदी सरकार तैयार नहीं है।  

सीपीएम अन्य वामपंथी पार्टियों जिनमे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन,आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के साथ मिलकर इस संशोधित विधेयक का पूरजोर विरोध करती है और 19 दिसंबर,2019 को इसके खिलाफ प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगी।