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शिमला: पर्यटन स्थलों और बस स्टैंड में अब जल्द दिखेंगे हिमाचली उत्पादों के स्टॉल

पी. चंद, शिमला |

ग्रामीण विकास एव पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर में शिमल में नाबार्ज द्वारा आयोजित किए जा रहे उड़ान मेले का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार किये जा रहे उत्पादों को मार्किट प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार पर्यटन स्थलों, बस स्टैंड और विभिन्न संस्थानों में अलग से स्टॉल लगाने के लिए जगह देने जा रहा है। जिससे प्रदेश के किसानों और महिलाओं को गांवों में ही रोजगार मिल सके। महिलाएं देश की आर्थिकी में अपना अहम योगदान देती हैं लेकिन उसकी गिनती कंही भी नहीं होती है।

बता दें कि नाबार्ड 17 से 21 अक्टूबर तक शिमला में उड़ान मेला करवा रहा है। जिसमें प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किये गए उत्पादों सहित 10 राज्यों के उत्पाद लोगों के लिए प्रदर्शिनी और बिक्री के लिए लगाए गए हैं। वीरेंद्र कंवर ने नाबार्ड के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस मेले से प्रदेश किसानों के उत्पादों को मार्केट मिलेगी।

क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महा प्रबंधक निलय कपूर ने बताया कि मेले में हिमाचली उत्पादों के अलावा मेले में पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात और उत्तराखंड के किसानों औऱ स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाओं के उत्पादों को भी बिक्री के लिए लगाया गया है।मेले का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में योगदान देना है।17 से 21 अक्टूबर तक चलने वाले इस पांच दिवसीय मेले में प्रदेश के दुर्गम जिले चंबा के पांगी हिल्स ले उत्पाद भी लगाए गए हैं।इसके अलावा मेले में पहाड़ी मसाले, दालें,कुल्लु जिले के मशहूर उन्नी हैंडलूम उत्पादों जैसे कुल्लु शॉल, टोपी और जैकेट जिन्हें ग्रामीण महिलाएं हाथों से तैयार करती हैं को भी मेले में लगाया गया है। घर की सजावट के लिए इस्तेमाल होने वाले उन्ना जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों द्वारा तैयार किए फर्नीचर को भी प्रदर्शनी और बिक्री के लिए लगाया गया है।

इसके अलावा नाबार्ड ने वितीय समावेश की लोगों को जानकारी के लिए अलग से आरबीआई के साथ मिलकर स्टाल भी लगाया है। नाबार्ड ने बीते वर्ष भी इसी तरह की पहल करते हुए शिमला में "ग्राम उत्पाद मेला" आयोजित किया था जिसमें कृषक उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित उत्पादों को प्रर्दशित और बेचने के लिए लगाया गया था।