शिमला में 1884-1888 से भारत के वाइसराय लॉर्ड डफरीन के घर के रूप बनाए गए भारतीय उच्च अध्यन संस्थान (वाइसरेगल लॉज) की हालत ख़स्ता है। जिसके चलते वाइसरेगल लॉज जीर्णोद्वार का रास्ता अब साफ हो गया है। इसके जीर्णोद्धार का काम आज से शुरू कर दिया गया है। इसके जीर्णोद्धार के लिए 67 करोड़ स्वीकृत किए गए है। पहले चरण में इसके किचन विंग का काम शुरू हुआ है जिस पर 12 करोड़ ख़र्च किए जाएंगे। किचन विंग के काम को 2022 तक दो साल में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जबकि पूरे परिसर का काम 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
हैरिटेज बिल्डिंग होने के नाते एएसआई की देखरेख में सारा कामकाज होगा ताकि बिल्डिंग की ऐतिहासिक पहचान को कोई नुकसान न पहुंच सके। यह जानकारी शिमला में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर मकरंद आर परांजपे ने दी। उन्होंने बताया कि कारोना काल में 50 फ़ीसदी लेबर के साथ काम शुरू किया गया है। एडवांस स्टडी के निर्माण के बाद पहली बार इस ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार हो रहा है। क्योंकि भवन के अंदर और बाहर कुछ ऐतिहासिक चीजें हैं जिनको रिपेयर किया जाएगा। इस भवन का निर्माण सीपीडब्ल्यूडी की देखरेख में द्रोणा और एपीकॉम करेगी।
इंडियन एडवांस स्टडी
1947 भारत की आज़ादी के बाद इसे राष्ट्रपति निवास बनाया गया। लेकिन बाद में यानी कि 20 अक्तूबर, 1965 को इस भवन को भारतीय उच्च अध्यन संस्थान के रूप में स्थापित कर दिया गया। राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस ईमारत को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का दर्जा दिया था। एडवांस स्टडी शोधकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र है। भारत के विभाजन का दर्द भी इस भवन से जुड़ा था।