कालका-शिमला हेरिटेज रेल ट्रैक पर एक बार फिर 113 साल पुराना स्टीम इंजन छुक-छुक कर दौड़ा। इस भाप इंजन ने शिमला से कैथलीघाट तक 22किलोमीटर की दूरी तय की। देवदार के हरे भरे पेड़ो के बीच चले इस इंजन ने दो बोगियां खींची। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेशी मेहमानों ने भी सफर का आनंद लिया।
यह भाप इंजन 113 साल पुराना है। विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग सौ साल से भी अधिक पुराना ट्रैक है। इस मार्ग को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने तीसरी रेल लाइन के रूप में विश्व धरोहर में शामिल किया था। इस इंजन का वजन 41 टन का है। जिसकी क्षमता 80 टन खींचने की है।
शिमला में पहली ट्रेन नौ नवंबर 1903 को पहुंची थी। ये स्टीम इंजन कालका कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रैक पर वर्ष 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे। इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजनों को संभाल कर रखा हुआ है। 96 किलोमीटर की कालका शिमला रेल लाइन में 102 सुरंग व 800 छोटे बड़े पुल है।