➤ शिमला नगर निगम में महापौर और उपमहापौर पद को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज
➤ भाजपा ने कहा—महिला पार्षद को मिले महापौर पद का मौका, कांग्रेस पर दबाव बढ़ा
➤ रोस्टर बदलाव और महिला आरक्षण को लेकर दोनों दलों में बढ़ा राजनीतिक टकराव
शिमला नगर निगम में महापौर और उपमहापौर चुनाव को लेकर सियासत फिर से गरमा गई है। 15 नवंबर को वर्तमान मेयर और डिप्टी मेयर का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसको देखते हुए कांग्रेस के कई पार्षद सक्रिय हो गए हैं, वहीं अब भाजपा ने भी मोर्चा खोल दिया है। भाजपा का कहना है कि अगले ढाई साल के लिए महिला पार्षद को महापौर पद का अवसर दिया जाना चाहिए, क्योंकि नगर निगम सदन में इस समय 34 में से 21 सीटों पर महिलाएं काबिज हैं।
भाजपा पार्षद सरोज ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार को महिलाओं का सम्मान बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब रोस्टर में संशोधन आवश्यक है ताकि महिला को महापौर बनने का अवसर मिल सके। ठाकुर ने यह भी कहा कि पिछले 12 सालों से महापौर पद अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित नहीं हुआ है, ऐसे में इस बार नियम अनुसार यह मौका दिया जाना चाहिए।
साल 2023 में हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था और उस दौरान भी कांग्रेस की महिला पार्षदों ने प्रियंका गांधी के सामने यह मांग रखी थी कि शिमला नगर निगम में महिला को प्रमुख पदों पर प्राथमिकता दी जाए। उस समय कांग्रेस ने उप महापौर पद पर उमा कौशल को तैनाती दी थी, लेकिन महापौर पद मुख्यमंत्री के करीबी सुरेंद्र चौहान को मिला। अब जब उनका कार्यकाल समाप्ति की ओर है, तब एक बार फिर महिला नेतृत्व की मांग तेज हो गई है।
कांग्रेस खेमे में इस मुद्दे पर आंतरिक राजनीति भी गर्मा रही है। कुछ पार्षदों का कहना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करने वाली कांग्रेस को अब अवसर पर भी वही संदेश देना चाहिए। वहीं भाजपा इस मुद्दे को महिला सम्मान और आरक्षण से जोड़ते हुए कांग्रेस पर दबाव बढ़ा रही है। आने वाले दिनों में नगर निगम के भीतर महापौर की नई राजनीति किस ओर जाती है, यह देखना दिलचस्प रहेगा।



